बीते सालों में कर्मचारी भविष्य निधि फंड से पीएफ निकालने की प्रक्रिया काफी आसान हो गई है। अब तो ईपीएफओ खाताधारक ऑनलाइन भी क्लेम कर सकते हैं। ईपीएफओ का गठन कर्मचारियों के रिटायरमेंट कोष के तौर पर हुआ था, ताकि नौकरी से रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर रहे, लेकिन बीते सालों में कर्मचारियों ने अपना पीएफ समय से पहले निकालने की प्रवृत्ति बढ़ी है। यही वजह है कि सरकार ने भी इसे नियंत्रित करने के लिए आयकर नियमों में कुछ बदलाव किए हैं।

यहां इन बदलावों की जानकारी दी जा रही हैः यदि कर्मचारी लगातार 5 साल तक नौकरी नहीं करता है और वह अपना पीएफ निकालता है तो उसे टैक्स का भुगतान करना होगा। पीएफ विदड्रॉल करने पर खाताधारक के अपने हिस्से पर टैक्स लागू नहीं होता है, लेकिन यदि खाताधारक शुरूआती सालों में ही पीएफ निकालता है तो उसे अपने हिस्से पर भी टैक्स देना होगा।

5 साल से पहले पीएफ निकालने पर टीडीएस 10% लगेगा। हालांकि यदि निकाली गई रकम 50 हजार से कम है तो उस पर टीडीएस नहीं लगेगा। गौरतलब है कि अब कर्मचारी को पीएफ निकालने के लिए नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत नहीं है और पीएफ अब सीधे ईपीएफओ से निकाला जा सकता है। मेडिकल इमरजेंसी, घर खरीदने या निर्माण कराने के लिए ईपीएफ से थोड़ी रकम निकाली जा सकती है।

ईपीएफओ पीएफ का पैसा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स, सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज आदि जगहों पर निवेश करती है। साल 2019 में ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में 86,966 करोड़ रुपए निवेश किए।

बता दें कि ईपीएफ खाताधारक ईपीएफओ की वेबसाइट पर अपनी शिकायतें भी दर्ज करा सकते हैं। ईपीएफ निकासी, ईपीएफ खाते का ट्रांसफर, केवाईसी से जुड़े मामले आदि को लेकर ईपीएफओ में शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।