Bank mergers on track: खतरनाक कोरोना वायरस के चलते 14 अप्रैल तक देशव्यापी लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन के बीच देश के 10 बड़े बैंकों का विलय होने जा रहा है। एक अप्रैल से इन बैंकों के नाम भी बदलने जा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान बैंकों के विलय के बाद बनी इकाई में कामकाज सरकार के लिए बड़ा चैलेंज होगा। बता दें कि कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक मिलकर एक हो जाएंगे, इसके अलावा इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में हो रहा है।

पीएनबी में ओबीसी और यूबीआई के विलय से बनने वाला बैंक एसबीआई के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होना है। बताया जा रहा है कि विलय से जुड़ी जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बैंकों के विलय से ग्राहकों पर भी असर पड़ेगा।

कुछ बैंकों की ब्रांच बंद हो सकती है, वहीं ग्राहकों की कस्टमर आईडी अगर विलय में शामिल दो बैंकों में एक साथ है तो एक आईडी बंद हो सकती है। ग्राहकों को नए चेकबुक के लिए तैयार रहना चाहिए इसके साथ ही ग्राहकों को अन्य कामों के लिए थोड़ा पेपरवर्क भी करना पड़ सकता है।

बता दें कि इस विलय के बाद तीन साल में सरकारी बैंक 27 से 12 हो जाएंगे। विलय को लेकर सरकार ने वजह बताई है कि इससे बैंकों के रिस्क लेने की क्षमता में इजाफा होगा। इसके साथ ही एनपीए कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी। मालूम हो कि बैंकों का बढ़ता एनपीए केंद्र सरकार के लिए चिंता का विषय है। एनपीए को कम करने के लिए केंद्र लगातार प्रयास कर रही है।

बैंकों के विलय से बैंककर्मी नाखुश हैं। बैंककर्मियों का मानना है कि यह विलय नहीं किया जाना चाहिए। ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने 27 मार्च से हड़ताल का आह्वान किया था लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो सका।