Special marriage act, Hindu marriage act Registration Process: कोर्ट मैरिज के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना सभी धर्मों के लिए अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत विवाहित जोड़ा किसी भी धर्म से हो लेकिन उन्हें मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सभी धर्मों के लोगों के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन की सिफारिश की थी। शादी के बाद स्पाउज वीजा हासिल करने, बैंक में जॉइंट अकाउंट खुलवाने, जॉइंट प्रॉपर्टी लेने जैसे तमाम कार्यों के लिए शादी का मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है। भारत में कई लोग कोर्ट मैरिज के बाद इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं।
अब सवाल यह है कि कोर्ट मैरिज में शादी का रजिस्ट्रेशन कहां करवाना होता है? सवाल यह भी है कि हम किसी इसके लिए अपना विटनेन बना सकते हैं? सबसे पहले बात करते हैं रिजस्ट्रेशन की। शादी होने के 30 दिन के भीतर किसी भी नवविवाहित जोड़े को रजिस्ट्रार ऑफ मैरिज के पास शादी को रजिस्टर करवाना होता है। यहां बता दें कि भारत में दो तरह से शादी का रजिस्ट्रेशन होता है। पहला हिंदू मैरिज एक्ट के तहत दूसरा स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत।
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता या अभिभावक या फिर विवाह के साक्षी रहे अन्य लोगों के साथ रजिस्ट्रार के समक्ष पेश होना होता है। ऐसा एक महीने के भीतर किया जाना अनिवार्य है। बात करें स्पेशल मैरिज एक्ट की तो इसके लिए इच्छुक जोड़ा विवाह अधिकारी के पास 30 दिन पहले आवेदन करता है।
विवाह अधिकारी के ऑफिस पर नोटिस चस्पा कर दिया जाता है। वहीं अगर लड़की अगर किसी और क्षेत्र की रहने वाली है तो उसके एरिया के विवाह अधिकारी के ऑफिस में भी नोटिस चस्पा कर दिया जाता है। इसके बाद अगर कोई आपत्ति नहीं मिलती है तो विवाह करवा दिया जाता है और इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन होता है।

