इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग स्कीम का ऐलान किया है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग स्कीम के लिए गाइडलाइन भी जारी की हैं। इसके जरिए सरकार का लक्ष्य है कि ग्लोबल और पांच भारतीय मोबाइल बनाने वाली कंपनियों का घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाया जाए। इन तीन स्कीम का नाम प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम (पीएलआई), स्कीम फोर प्रोमोशन ऑफ मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रानिक कम्पोनेंट्स एंड सेमिकंडक्टर्स (एसपीईसीएस) और मोडिफाइड इल्केक्ट्ऱॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग कल्स्टर्स (ईएमसी 2.0) है।
इन सभी स्कीम को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ने बीते 1 अप्रैल को नोटिफाई भी किया था और अब इन स्कीम के लिए 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। इससे करीब 20 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि इससे देश में मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग इको-सिस्टम तैयार किया जाए।
पीएलआई स्कीम के तहत बेहतर प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों को इंसेटिव भी दिया जाएगा। यह इंसेटिव भारत में निर्मित प्रोडक्ट्स की सेल पर 4 से 6 फीसदी का होगा इसके साथ ही स्कीम में लक्षित क्षेत्रों के तहत कवर प्रदान किया जाएगा। वहीं बेस ईयर के आधार पर योग्य कंपनियां पांच साल तक इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगी।
स्कीम फोर प्रोमोशन ऑफ मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रानिक कम्पोनेंट्स एंड सेमिकंडक्टर्स के जरिए स्पेयरपाट्स बनाने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यानी कि जो कंपनिया पूर्जों का निर्माणा करती हैं उन्हें इससे सीधा फायदा पहुंचेगा। वहीं मोडिफाइड इल्केट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग कल्स्टर्स के तहत सरकार ने गाइडलाइन में कहा है कि वे विदेशी कंपनियां जो भारत में आकर बिजनेस करना चाहती हैं वे अपनी एंसलरी या उसके लिए पुर्जे बनाने वाले छोटे उद्योगों को भी साथ लेकर आए।