प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर घरेलू गैस पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ दी थी? पर सिलेंडर के आसमान छूते दामों के बाद अपने ही फैसले पर पछता रहे हैं, तो यह खबर आपकी चिंता थोड़ी कम कर सकती है। आप दोबारा से गैस सिलेंडर पर सब्सिडी का फायदा उठा सकते हैं। बस, आपको इसके लिए एक छोटी सी प्रक्रिया अपनानी होगी।
दो साल में 79 फीसदी बढ़े दामः अक्टूबर, 2018 में गैस सिलेंडर का दाम 875 रुपए हो गया, जबकि अप्रैल में यह 649 रुपए का था। वहीं, साल 2016 में यह करीब 389 रुपए में मिल जाता था। बीते दो सालों में इसके दाम में लगभग 79 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि आम आदमी के बजट को तेजी से बिगाड़ रही है।

सिलेंडर महंगा होने पर लोग बदल रहे मनः यही कारण है कि देश के विभिन्न हिस्सों में लोग सिब्सिडी को लेकर अपने फैसले बदल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई जगहों पर छोड़ी गई सब्सिडी दोबारा वापस पाने की शुरुआत हो चुकी है। गैस सिलेंडर पर दोबारा सब्सिडी पाने के लिए आपको ये काम करने पड़ेंगे-
– सबसे पहले अपनी गैस एजेंसी से संपर्क करें। संबंधित अधिकारियों से इस बारे में बात कर लें और दोबारा से सब्सिडी पाने के संबंध में रिक्वेस्ट डाल दें।
– दोबारा से गैस सब्सिडी पाने के लिए एक शर्त भी है। आपको गैस एजेंसी को यह बताना पड़ेगा कि आपकी कुल वार्षिक आय 10 लाख रुपए या उससे कम है। अगर ये रकम तय किए गए पैमाने से अधिक हुई, तो आप सब्सिडी नहीं पा पाएंगे।
– फिर से सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या सरीखी जानकारी भी मुहैया करानी पड़ेगी। आगे की प्रक्रिया गैस एजेंसी वाले पूरी करेंगे।
– ग्राहक के आवेदन पर सप्ताह में गैस कंपनी के क्षेत्रीय प्रभारी फॉर्म जांचेंगे, जिसके बाद सब्सिडी बहाल की जाएगी।
ये दस्तावेज आएंगे कामः गैस कनेक्शन पेपर, बैंक पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड की फोटोकॉपी के साथ एक प्रार्थना पत्र भी लगेगा।
क्या करना पड़ता है सब्सिडी पाने के लिएः सब्सिडी पाने के लिए बैंक खाते का आधार कार्ड से लिंक होना जरूरी है। जिसके नाम पर गैस सिलेंडर रजिस्टर होगा, वही फॉर्म भरेगा। फॉर्म में आधार संख्या भी मुहैया करानी होगी। अब आगे आपको अपनी एपीजी को आधार से लिंक कराना होगा, जबकि अगले चरण में आधार नंबर और एलपीजी ग्राहक संख्या लिंक करनी होगी।
कहीं अनजाने में आपकी भी तो नहीं चली गई सब्सिडी?: फोन पर गैस बुक करते वक्त कई बार इंटेरैक्टिव वॉइस रिस्पॉन्स (आईवीआरएस) के दौरान गलत बटन दब जाने से भी लोगों की सब्सिडी अनजाने में छूट जाती है। पहले तक इसमें शुरुआत में बुकिंग का ऑप्शन मिलता था, जिसके बाद दूसरा विकल्प भाषा बदलने का होता था। लेकिन बाद में उस पर पहला ऑप्शन सब्सिडी छोड़ने का आने लगा, लिहाजा जो लोग आईवीआरएस नहीं समझ पाते हैं। वे धोखे में इस बटन को दबा देते हैं, जिससे उनके सब्सिडी चली जाती है।
गरीबों को फायदा पहुंचाना था मकसदः पीएम मोदी ने 27 मार्च 2015 को ‘गिव इट अप’ पहल का शुभारंभ किया था। उन्होंने इसते अंतर्गत संपन्न तबके से गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, ताकि उसे गरीबों तक पहुंचाया जा सके। हालांकि, ‘गिव इट अप’ के ऐलान के कुछ दिन बाद ही पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साफ किया था, “सब्सिडी छोड़ने के एक साल बाद अगर कोई चाहे तो दोबारा से उसे हासिल कर सकता है।”