कम उम्र में सेविंग करना हमें भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूती देता है। जरूरत पड़ने पर हमें किसी से पैसे मांगने की चिंता नहीं रहती। इसके साथ ही उधार लेकर ब्याज के दलदल में फंसने से भी छुटकारा मिल जाता है। इस वजह से हमेशा कहा जाता है कि अपनी इनकम का कुछ हिस्सा बचत के रूप में अलग से रखना चाहिए।

कुछ लोगों में बचत करने की आदत तो होती है लेकिन बचत करने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि आप उसे सही जगह पर निवेश करें। निवेश करने से आपको उसपर बेहतर रिटर्न हासिल होगा। ग्राहक अपन मेहनत की मोटी और गाढ़ी कमाई को इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करते हैं। ऐसा कर वह बेहतर रिटर्न हासिल करते हैं।

अक्सर देखा गया है कि लोग फर्स्ट टाइम पॉलिसी लेने से पहले जानकारी के अभाव में गलत पॉलिसी ले लेते हैं। ऐसे में पॉलिसी लेने से पहले ग्राहकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे सही जानकारी हासिल करें। पॉलिसी लेने से पहले ग्राहकों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मसलन आप जांच करें और देखें कि क्या उसमें गारंटी रिटर्न मिलेगा या नहीं।

इसके अलावा लॉक-इन पीरियड क्या है, भुगतान की जाने वाली प्रीमियम की डिटेल्स, प्रीमियम डिफाल्ट के क्या परिणाम होंगे, फिर से चालू करने (रिवाइवल) की शर्तें और पॉलिसी की शर्तें क्या हैं, कौन-कौन सी फीस काटे जाएंगी, क्या लोन मिलेगा आदि।

बीमाकर्ता की मृत्यु होने पर आमतौर पर ये दस्तावेज मांगे जाते हैं: पॉलिसी पीरियड के दौरान बीमाकर्ता की मृत्यु पर बीमा क्लेम हासिल करने के लिए आमतौर पर आवश्यक मूल दस्तावेजों में मृत्यु प्रमाण पत्र, क्लेम फॉर्म और पॉलिसी बॉन्ड शामिल होते हैं, अन्य दस्तावेजों के रूप में मेडिकल अटेंडेंट का सर्टिफिकेट, हॉस्पिटल सर्टिफिकेट, नियोक्ता का प्रमाणपत्र, पुलिस जाँच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि जमा करने के लिए कहा जा सकता है। दस्तावेज अलग-अलग कंपनियां अपनी शर्तों के मुताबिक मांगती हैं।