रेल मंत्रालय ने पिछले वर्ष अप्रैल में रेलवे के इमरजेंसी कोटा (आपातकालीन कोटा) के तहत टिकट बुक करने के बारे में राज्यसभा में एक लिखित जवाब दिया था। रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे ग्राहकों को उच्च आधिकारिक मांग के तहत इमरजेंसी कोटा मुहैया कराता है। इस कोटे लाभ जो लोग ले सकते हैं उनमें केंद्र सरकार के मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, संसद सदस्य और प्रतीक्षा में शामिल आपात स्थिति में टिकट की मांग करने वाले लोग शामिल हैं। भारतीय रेलवे विभिन्न ट्रेनों में विभिन्न वर्गों में सीमित संख्या में बर्थ को आपातकालीन कोटा के रूप में देता है। रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे आपातकालीन कोटा पूर्ववर्ती वारंट द्वारा प्राथमिकता के अनुसार जारी करता है। पहले इस कोटे का लाभ उच्च आधिकारिक मांग वाले धारकों को मिलता है जिसमें जिसमें संसद सदस्य, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आदि शामिल हैं। इसके बाद अन्य लोगों के लिए कोटा जारी किया जाता है।
हालांकि, भारतीय रेलवे द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार शेष कोटा यात्रियों की स्थिति ध्यान में रखते हुए जारी किया जाता है। यात्रियों की आपात स्थिति जैसे कि सरकारी ड्यूटी पर यात्रा करना, बीमारी, परिवार में शोक या नौकरी के लिए साक्षात्कार देने के लिए यात्रा करने आदि पर इस कोटे का लाभ मिलता है। रेल मंत्रालय के मुताबिक आपातकालीन कोटा सेल जोनल या मंडल मुख्यालय और कुछ महत्वपूर्ण गैर-मुख्यालय स्टेशनों पर होती है।
इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार इमरजेंसी कोटा के तहत टिकट पाने के लिए डॉक्टर की पर्ची टिकट बुक करने वाले कर्मचारी देनी पड़ती है जिसके वाद रेलवे कर्मचारी डिवीडन ऑफिस में बात करता है। अगर किसी मरीज का दिल का ऑपरेशन करवाना है और उसके लिए डॉक्टर बनवा रखी है तो इमरजेंसी कोटे से टिकट किराए में 75 फीसदी की छूट मिल सकती है। मरीज के साथ सफर करने वाले मददगार को भी टिकट किराए में यह छूट दी जाती है। कैंसर के मरीजों के लिए टिकट मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है।