कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत से लोग शहर छोड़कर गांवों और दूरदराज इलाकों में चले गए। जब वर्क फ्रॉम होम की बात आई तो उन्हें इंटरनेट जैसी समस्याओं से होकर गुजरना पड़ा, जहां आज भी इंटरनेट की कनेक्टिविटी या तो नहीं या फिर बेहद स्लो है और यहां पर रहने वाले लोग इंटनेट की समस्या से आज भी गुजर रहे हैं।
लेकिन अब इनकी समस्या दूर होने वाली है। सरकार ने ऐसा प्लान तैयार किया है, जिससे दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट की पहुंच तो होगी ही। साथ ही लोगों को हाईस्पीड इंटरनेट का लाभ भी मिल सकेगा। सरकार ने अपने प्लान के तहत दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या को दूर करने का काम भी शुरू कर दिया है।
हाईवे पर इंटरग्रेट्रेड पब्लिक यूटिलिटी कॉरिडोर बनेंगे: सरकार नेशलन हाईवे के साथ फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क को जोड़ना चाहती है, जिसका मतलब है कि हाईवे के साथ ही फाइबर ऑप्टिकल बिछाए जाएंगे। सरकार के इस कदम से वहां पर रहने वाले लोगों और शहर से वहां काम के लिए जाने वाले लोगों को बेहतर सुविधा मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अपने नए और पुराने हाईवे पर इंटरग्रेट्रेड पब्लिक यूटिलिटी कॉरिडोर बनाएगी, जिसका इस्तेमाल ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) के ढांचे के निमार्ण में किया जाएगा।
इस तरह से पहुंचेगा आपतक इंटरनेट: इस ढांचे के निर्माण से टेलीकॉम ऑपरेटर्स को डाक फाइबर कनेक्शन मिलेगा और इससे वे दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्शन देनें में सक्षम होंगे। बता दें कि डाक फाइबर ऑप्टिकल ऐसे ऑप्टिकल हैं, जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है। अब टेलीकॉम कंपनिया डाक फाइबर लीज पर ले सकती है और इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड कर सकती हैं।
2 लाख किमी तक हाईवे का निर्माण: सरकार का लक्ष्य 18000 किलोमीटर ओएफसी ढांचे का निर्माण करना है, जो पूरे देश को कवर करेगी। सरकार ने इस पायलेट प्रोजेक्ट के लिए हैदराबाद-बेंगलुरु एनएच और मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे की पहचान की है, जिनकी कुल लंबाई 1900 किमी है। गौरतलब है कि सरकार ने देश में 2025 तक 2 लाख किमी हाईवे के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
