नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते वक्त हमें कई तरह की सावधानियां बरतनी होती हैं। थोड़ी सी लापरवाही का मतलब है मुसीबत को बुलावा देना। अक्सर देखने को मिलता है लोगों को लापरवाही के चलते साइबर ठग उनके बैंक खाते में सेंध लगा देते हैं। साइब्रर फ्रॉड के जरिए ठग आपको बैठे-बैठे चुना लगाते हैं। आपकी मेहनत की मोटी और गाढ़ी कमाई मिनटों में छूमंतर हो जाती है।

साइबर ठग बड़े ही स्मार्ट तरीकों के जरिए आपकी निजी जानकारियों को हैक कर ठगी को अंजाम देते हैं। वे नए-नए तरीकों के जरिए ग्राहकों को अपने जाल में फंसाते हैं। इसे सामान्य भाषा में आइडेंटिटी थेफ्ट कहते हैं। अक्सर साइबर इस तरह की ठगी के लिए असुरक्षित नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे लोगों को टारगेट करते हैं।

मसलन किसी पब्लिक प्लेस का वाई-फाई। जिन जानकारी को हैकर चुराने का प्रयास करते हैं उनमें क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल आईडी, पैन नंबर, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी शामिल हैं। अब सवाल यह है कि इस तरह की से कैसे बचा जा सकता है?

ठगी से बचना है तो कभी भी ओपन इंटरनेट नेटवर्क से फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया को पूरा न करें। इसके लिए हमेशा अपने मोबाइल में मौजूद इंटरनेट डाटा पैक का इस्तेमाल करें। घर के वाई-फाई पासवर्ड को स्ट्रांग और लंबा रखें। ऐसा कर आप साइबर ठगों से बच सकेंगे।

अपने बैंक खाते की जानकारी नियमित रूप से रखें। यानि कि ग्राहकों को नियमित रूप से नेट बैंकिंग के जरिए लॉगइन करना चाहिए जिससे वे यह जान सकें कि उनके खाते में किसी तरह की सेंध तो नहीं मारी गई।