यदि आप बैंक में मोटी रकम जमा कराते हैं तो अब सिर्फ पैन कार्ड से काम नहीं चलेगा। सरकार की तरफ से तय सीमा से अधिक राशि जमा कराने की स्थिति में आपको पैन कार्ड के साथ आधार कार्ड के जरिये ई-केवाईसी या ओटीपी की भी जरूरत पड़ेगी। सरकार की तरफ से यह कदम काले धन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाया गया है।
अर्थव्यवस्था में बड़ी पैमाने पर नकदी के प्रवाह को देखते हुए सरकार आधार प्रमाणीकरण को अनिवार्य करने जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस आशय का बदलाव वित्त बिल में प्रस्तावित संशोधन के जरिये किया जाएगा। इसमें निर्धारित सीमा से अधिक फॉरेन एक्सचेंज समेत हाईवैल्यू ट्रांजेक्शन शामिल किए जाएंगे।
अभी तक इस प्रकार के लेनदेन में सिर्फ पैन कार्ड ही अनिवार्य था। इसी तरह से निर्धारित मूल्य से अधिक की संपत्ति की खरीद-बिक्री से जुड़े लेनदेन में भी सिर्फ आधार या पैन से काम नहीं चलेगा। संपत्ति के पंजीकरण के दौरान आपके लेनदेन के समय आधार प्रमाणीकरण की जरूरत पड़ सकती है।
सरकार के सूत्र ने बताया कि हम इस तरह की एक सीमा निर्धारित करने पर काम कर रहे हैं जिसमें सिर्फ एक सीमा से अधिक लेनदेन करने वालों को ट्रैक किया जा सके। अभी यह सीमा तय की जानी है। उम्मीद है कि 20-25 लाख रुपये सालाना जमा कराने या निकालने पर आधार प्रमाणीकरण या ओटीपी की जरूरत पड़ सकती है।
सीबीडीटी के आंकड़ों के अनुसार साल 2017-18 में 100 करोड़ से अधिक की नकद निकासी करने वालों लोगों/कंपनी की संख्या 450 से अधिक रही। वहीं 10-100 करोड़ के बीच 7000 पैन कार्ड का विवरण दिया गया। इस सीमा में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकद निकासी हुई।
सूत्रों का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि भारी मात्रा में नकद जमा कराने या निकालने वाले लोग फर्जी पैन संख्या दे देते हैं। इसके बाद उस लेनदेन को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य करने के जरिये सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि फर्जी पैन कार्ड का प्रयोग ना हो सके।
हालांकि, यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है लेकिन इससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। भारी मात्रा में कैश का प्रयोग अर्थव्यवस्था में ब्लैक मनी का बड़ा स्रोत है। पिछले कई सालों से सरकार महंगे आभूषण, घड़ियां, और संपत्ति के हाईवैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रख रही है।