झूठे विज्ञापन और प्रसार पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। अगर भ्रामक प्रचार फैलाया जाता है तो सरकार इनपर कार्रवाई करेगी। यानी अगर अब कोई भी कंपनी बिना एक्‍सरसाइज के हफ्ते भर में चर्बी को खत्‍म करने या फिर 1 रुपए से लाखों बनाने का दावा करता है तो उसपर 50 लाख रुपए के जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे प्रचार पर अंकुश लगाने के लिए और यूजर्स की सुरक्षा के लिए, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की कई धाराओं के तहत दोषी कंपनियों के खिलाफ 10 लाख रुपए का नोटिस और वित्तीय दंड जारी किया है। CCPA ने उद्योग संघों से निर्माताओं और व्यापारियों को कोविड -19 से सुरक्षा के बारे में भ्रामक विज्ञापन जारी करने से बचने की सलाह देने के लिए भी कहा है।

कब-कब कितना लगेगा जुर्माना
CCPA ने इसे शुक्रवार से ही लागू कर दिया है। इसके तहत कहा गया है कि अगर इन निर्देशों का उल्‍लंघन किया जाता है तो कंपनियों पर दंड लगाया जाएगा। साथ ही CCPA भ्रामक विज्ञापन के बदले किसी भी निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और अन्‍य पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। वहीं अगर इस नियमों का उल्लंघन दोबारा किया जाता है तो फिर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना वसूला जा सकता है।

अबतक कितनी हुई कार्रवाई
CCPA ने 113 कार्रवाइयां की हैं, जिनमें से 57 नोटिस भ्रामक विज्ञापनों के लिए हैं, जबकि 47 नोटिस अनुचित व्यापार से संबंधित हैं और नौ उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित है। CCPA के अतिरिक्‍त सचिव निधि खरे ने कहा कि नोटिस के बाद 14 कंपनियों ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया था, जिनमें से अधिकतम कंपनियों ने कोविड-19 कीटाणुओं को मारने का दावा किया था। वहीं इसमें से तीन कंपनियों ने सुधारात्मक विज्ञापन जारी किए हैं।

क्‍या हो सकती है कार्रवाई
भ्रामक प्रचार करने वाले के खिलाफ ऑथोरिटी प्रचार करने वाले को किसी भी उत्‍पाद के प्रचार के लिए एक वर्ष तक बैन लगा सकता है और बाद में इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए तीन कंपनियों पर 10,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि तीन अन्य पर अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए समान दंड लगाया गया है।

नापतोल से किया गया था भ्रामक प्रचार
निधि खरे ने बताया कि जिन ब्रांडों को सीसीपीए से नोटिस मिले हैं, उनका प्रचार नापतोल के तहत किया गया था। Naaptol, अपने लाइव टीवी और YouTube प्रसारण के माध्यम से, अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अनुचित तरीकों का उपयोग कर रहा था। वह अक्‍सर ही यूजर्स से झूठा प्रचार करता था कि उत्पाद सीमित समय के लिए है। साथ ही कम समय में लोगों को उत्‍पाद खरीदने के लिए मानसिक दबाव बनाता था।

किस तरह का प्रचार है भ्रामक
बिना किसी वैज्ञानिक विश्वसनीयता या रिपोर्ट के अपने उत्पाद के बारे में झूठे दावे करने वाले एक अन्य विज्ञापन में घुटनों के दर्द से तुरंत राहत के लिए मैग्नेटिक घुटना सपोर्ट विज्ञापन, एक्यूप्रेशर योग चप्पल या एक्यूप्रेशर मालिश चप्पल और यहां तक ​​कि 200 रुपये में कुछ सोने के आभूषण जैसी चीजें भ्रामक प्रचार के अंतर्गत आती हैं।

200 रुपए में नकली सोने के आभूषण को असली बताकर बेचा
खरे ने कहा कि कंपनी की प्रतिक्रिया थी कि (उस आभूषण की) कीमत ही आम ग्राहकों के लिए यह समझने के लिए पर्याप्त है कि यह असली सोना नहीं है। ऐसे प्रचार नापतौल के जरिए किया गया था। इन पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जबकि तीन विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया गया क्योंकि उत्पाद की गुणवत्ता स्पष्ट नहीं थी और दावे साबित नहीं हो सके हैं।