कोरोना संकट के चलते कई लोगों को कोरना टेस्टिंग के नाम पर ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। कोरोना संकट के चलते करोडों लोगों घरों से ही काम कर रहे हैं तो वहीं ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भी भारी बढ़ोत्तीर हुई है। साइबर ठगों ने भी इस मौके का बखूबी फायदा उठाया है।
लोगों की ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की निर्भरता को देखते हुए साइबर ठग और ज्यादा एक्टिव हो गए हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि साइबर ठग कैसे लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं और लोग अनजाने में उनके चंगुल में फंस जाते हैं।
सबसे पहले बात करें फिशिंग मेल की तो यह एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए लोगों को लालच दिया जाता है। मसलन मैसेज, कॉल और मेल के जरिए ऐसा लुभावना ऑफर दिया जाता है जिसको सुनकर लोग यकीन कर लेते हैं। वे खुश हो जाते हैं और ठग उनकी इसी उत्सुकता का फायदा उठाते हैं। ये ऑफर आईफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रानिक गैजेट्स पर दिए जाते हैं।
इस तरह के ऑफर्स के जरिए लोगों से उनकी बैंक खाते की निजी जानकारियां ले ली जाती हैं और फिर खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं। फर्जी कस्टमर सपोर्ट कॉल के जरिए कंपनी के नाम पर अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर लेते हैं। जैसे ही किसी प्रोडक्ट पर समस्या आती है तो लोग इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करते हैं। लेकिन वह गलत प्लेटफॉर्म पर जाकर ठगों के फर्जी कस्टमर सपोर्ट कॉल से संपर्क कर बैठते हैं नतीजन वह ठगी का शिकार हो जाते हैं।
साइबर ठग इस तरीके के अलावा फ्री रिचार्ज और कैश बैक का ऑफर देकर भी लोगों को ठग रहे हैं। वहीं फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर लोगों से पैसा लिए जा रहे हैं। मसलन आपकी फेसबुक या अन्य किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़े किसी दोस्त की फर्जी प्रोफाइल बनाकर पैसों की मांग की जाती है। लोगों को लगता है कि दोस्त को मदद की जरूरत है तो वह पैसा भी ट्रांसफर कर देते हैं। ऐसे कई मामले हर दिन सामने आते रहते हैं। वहीं साइबर ठग लोन माफी कॉल या मैसेज के जरिए भी ठगी को अंजाम देते हैं।
ये है बचने का तरीका: कभी भी किसी भी इस तरह की कॉल पर एकदम से भरोसा न करें। जांच पड़ताल और सब्र के साथ ही फैसला लें। अपनी बैंक खाते की डिटेल किसी से साझा न करें। एटीएम कार्ड की जानकारी, पासवर्ड और ओटीपी किसी को न बताएं। किसी अनजान शख्स को डेट ऑफ बर्थ न बताएं।