EPFO Income Tax rules: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते बीते दिनों केंद्र सरकार ने ईपीएफओ के नियमों में छूट का एलान किया था। बेहद कम आय वाले नौकरीपेशा लोगों तक उनके पीएफ का पैसा आसानी तक पहुंच सके इसके लिए यह छूट दी गई। संगठित क्षेत्र में काम करने वाला कर्मचारी और कंपनी दोनों मिलकर पीएफ खाते में योगदान करती है।

कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी तो वहीं कंपनी भी इतना ही योगदान देती है।  इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड स्कीम, 1952 के अंतर्गत आने वाले हर एम्‍प्‍लॉयर को अपने हर इम्‍प्‍लॉई को ईपीएफ की सुविधा देना अनिवार्य है। फिर चाहे वह कंपनी सरकारी हो या प्राइवेट।

अक्सर पीएफ खाताधारकों के मन में यह सवाल होता है कि निकासी कब की जाए औ कब नहीं जिससे वह टैक्स देने से बच सकेंगे। इनकम टैक्स कानून के मुताबिक पांच साल से पहले पीएफ खाते से निकासी पर टैक्स लगता है। चाहे खाताधारक पांच साल के दौरान किसी एक नियोक्ता (कंपनी) के साथ काम करें या कई कंपनियों के साथ। अगर आप पांच साल तक पीएफ में योगदान के बाद रकम निकालते हैं तो इस रकम पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता।

पीएफ में कर्मचारी के योगदान पर आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज और निकाला जाने वाला पैसा भी टैक्स फ्री होता है। ऐसा तभी होगा जब पीएफ खाताधारक पांच साल बाद निकासी करें।

कुछ मामले में पीएफ निकालने की छूट मिलती है और आपसे कोई टैक्स नहीं लिया जाता है। अगर बीच में किसी संजीदा कारण से आपकी नौकरी छूट जाती है या कुछ दिन के लिए आप नौकरी से दूर रहते हैं तो आप पर यह पांच साल वाला नियम लागू नहीं होता है और आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।