PF Withdrawal Tax Rule: इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड यानि ईपीएफ कर्मचारियों के लिए ऐसा रिटायरमेंट प्लान है जिसके कई फायदे हैं।इसमें रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि मुहैया करवाई जाती है। कर्मचारी मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ में देता है और इतना ही योगदान नियोक्ता को भी करना होता है। पीएफ का पैसा रिटायरमेंट से पहले भी निकाला जा सकता है। हालांकि फाइनेंशियल प्लानर अक्सर कमर्चारियों को अपने पीएफ के पैसों को हाथ नहीं लगाने की सलाह देते हैं क्योंकि पैसा बीच में निकालने पर टैक्स भी देना पड़ता है।

अगर किसी कर्मचारी को एक कंपनी या अन्य कंपनियों में काम करते हुए 5 साल पूरे हो जाते हैं तो उसपर इनकम टैक्स की कोई लायबिलिटी नहीं होती। यानि कि पीएफ निकालने वाला कर्मचारी अगर लागातार पांच साल से नौकरी कर रहा है तो उसे पैसे निकालने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगर कर्मचारी की पिछली कंपनी में नौकरियों को भी गिना जाएगा बशर्ते उसने अपना पीएफ ट्रांसफर करा लिया हो। वहीं खराब सेहत होने के चलते ही टैक्स छूट मिलती है।

कुछ अन्य मामलों में पीएफ निकालने की छूट मिलती है और आपसे कोई टैक्स नहीं लिया जाता। अगर बीच में किसी संजीदा कारण से आपकी नौकरी छूट जाती है या कुछ दिन के लिए आप नौकरी से दूर रहते हैं तो आप पर यह पांच साल वाला नियम लागू नहीं होता है और टैक्स भी नहीं देना पड़ता।

बता दें कि इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड स्कीम, 1952 के अंतर्गत आने वाले हर एम्‍प्‍लॉयर को अपने हर इम्‍प्‍लॉई को ईपीएफ की सुविधा देना अनिवार्य है। फिर चाहे वह कंपनी सरकारी हो या प्राइवेट।