वर्तमान में जहां सबकुछ डिजिटल होता जा रहा है और कागजी कार्यवाही को कम से कम करने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में डिजिटल हस्ताक्षर का महत्त्व काफी बढ़ गया है। सरकारी कार्यों की निविदा हो या घर की खरीदारी सभी कार्य ऑनलाइन किए जा रहे हैं। इस स्थिति में डिजिटल हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। डिजिटल हस्ताक्षर से एक तो कार्य आसानी से हो जाता है। दूसरा, इससे जालसाजी को काफी कम किया जा सकता है।

सबसे पहले हम जानते हैं कि डिजिटल हस्ताक्षर होता क्या है? जिस प्रकार से कागज पर किए गए हस्ताक्षर इस बात का प्रमाण होते हैं कि वहां लिखी बातें आपकी जानकारी में हैं। उसी प्रकार डिजिटल हस्ताक्षर भी इस बात का प्रमाण हैं कि जहां वे हस्ताक्षर किए गए हैं, उन बातों से आप सहमत हैं। डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करने के लिए आवश्यक जानकारी जैसे पासवर्ड हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति के पास होती है ताकि उसका अवैध रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा सके। बिना पासवर्ड के डिजिटल हस्ताक्षर नहीं हो सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके ईमेल या फेसबुक के लॉगइन आइडी और पासवर्ड डिजिटल हस्ताक्षर हैं लेकिन इनको ईमेल की कंपनी और फेसबुक की मान्यता देते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल अन्य स्थानों पर नहीं किया जा सकता है।

डिजिटल हस्ताक्षर आधार नंबर, पैन या डिजिटल हस्ताक्षर की सेवा प्रदान करने वाली संस्था के डाटा से मिलाकर गणित और कंप्यूटर एल्गोरिदम की सहायता से तैयार किया गया एक नंबर या कोड होता है जिसे सिर्फ हस्ताक्षार करने वाला व्यक्ति ही जानता है। जब कभी आपको डिजिटल हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होगी तो उस गुप्त नंबर या कोड की सहायता से आप ऐसा कर सकते हैं। इस कोड या नंबर की जानकारी आपके अलावा किसी को नहीं होती है जिसकी वजह से आपके साथ जालसाजी की आशंका ही नहीं है।

कंप्यूटर एल्गोरिदम की सहायता से डिजिटल हस्ताक्षर की दो ‘की’ बनाई जाती हैं। इनमें से पब्लिक जबकि दूसरी निजी ‘की’ होती है। निजी ‘की’ का इस्तेमाल करके कोई भी व्यक्ति किसी भी दस्तावेज पर डिजिटल हस्ताक्षर कर सकता है। इससे उस व्यक्ति को दस्तावेज पर वास्तविक हस्ताक्षर नहीं करने होंगे।