मध्य प्रदेश सरकार ने 2005 के बाद नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए नई व्यवस्था शुरू की है। नेशनल पेंशन स्कीम के तहत इस व्यवस्था में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को साढ़े 16 महीने के वेतन के बराबर ग्रैच्युटी देगी। वहीं, पेंशन का लाभ वेतन से कटने वाली 10 फीसदी राशि और सरकार की तरफ से दिए गए 14 फीसदी के योगदान से दिया जाएगा।

सरकार की इस व्यवस्था का फायदा राज्य सरकार के 3.5 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। इन कर्मचारियों में 2.25 लाख कर्मचारी शिक्षक या स्कूल में लगे कर्मचारी हैं। पेंशन एवं भविष्य निधि ने सभी ट्रेजरी अधिकारियों को एनपीएस धारकों के भुगतान में कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं। 

पेंशन एवं भविष्य निधि ने सभी ट्रेजरी अधिकारियों को एनपीएस धारकों के भुगतान में कार्रवाई के लिए कहा है। इस पेंशन डायरेक्टरेट के संचालक जेके शर्मा ने ग्रेच्युटी और पेंशन भुगतान को लेकर सारी स्थिति साफ कर दी हैं।

भुगतान करने की प्रक्रिया क्या होगी?
 
यदि किसी कर्मचारी का मासिक वेतन 30 हजार रुपए है तो इसमें 10 फीसदी रकम पेंशन की कटी, जो 3 हजार रु. होगी। इसमें 14 फीसदी हिस्सा सरकार का होगा यानी ये 4200 रु.के बराबर होगा। इसमें कुल 7200 रु. एनएसडीएल के जरिए म्युचुअल फंड में जमा किए जाएंगे। इसके बाद, पेंशन मामले में रिटायरमेंट पर 10 लाख रुपए जमा होते हैं तो उसमें से 40 फीसदी यानी 4 लाख का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके अलावा 6 लाख पेंशन फंड के जमा रहेंगे, जिसमें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को पेंशन दी जाएगी।

इसके पहले भी, मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को शिवराज सिंह चौहान सरकार ने दीपावली के पहले तोहफा दिया था। मध्य प्रदेश की सरकार ने महंगाई भत्ते में आठ फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। इसके पहले ये भत्ता 12 फीसदी था, जिसको बढ़ाकर शिवराज सरकार ने 20 फीसदी कर दिया था। कोरोना-काल में राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित होने से शासकीय सेवकों को जुलाई, 2020 और जनवरी, 2021 में मिलने वाली वेतनवृद्धि को भी सरकार द्वारा स्थगित कर दिया गया था।