इमीग्रेशन अफसरों की गलती से हवाई अड्डे पर महिला यात्री की अवैध हिरासत के मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। तलाश तो सारा विलियम्स की थी पर उन्होंने पकड़ लिया सारा थामस को।
आयोग ने इस मामले में विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, तमिलनाडु सरकार और केरल सरकार से जवाब-तलब किया है। जवाब चार हफ्ते के भीतर मांगा गया है। आयोग ने पूछा है कि पीड़ित को क्यों न उत्पीड़न के लिए आर्थिक सहायता दी जाए और उसे तंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सारा थामस ने इस मामले में आयोग से शिकायत की थी। जिसमें आरोप लगाया था कि 29 अक्तूबर 2014 को उसे चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गैरकानूनी तरीके से रोका गया। इतना ही नहीं इसके बाद उसे रिमांड पर लिया गया और जेल भी भेज दिया गया। जिससे उसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न हुआ। जबकि उसका कोई दोष नहीं था।
गलती इमीग्रेशन विभाग, तमिलनाडु और केरल पुलिस की थी। अपनी शिकायत में सारा ने दोषी अफसरों के नाम भी लिखे थे। आयोग से उसने अपने जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार के उल्लंघन के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
आयोग ने पाया कि तमिलनाडु के मुख्य सचिव ने आयोग के नोटिस का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। अलबत्ता ग्रेटर चेन्नई के पुलिस आयुक्त ने 21 मई, 2015 की अपनी रिपोर्ट में इमीग्रेशन विभाग की घोर लापरवाही को स्वीकार किया।
उनका कहना था कि मामला केरल राज्य में दर्ज हुआ था और महिला के अतीत के बारे में कोई जानकारी न होने व चेन्नई पुलिस द्वारा कोई मामला दर्ज न किए जाने के कारण एयरपोर्ट पुलिस के पास महिला को रिमांड पर भेजने के अलावा कोई चारा नहीं था। दरअसल इमीग्रेशन अफसरों ने सारा थामस को सारी विलियम्स समझ लिया। जिसकी पुलिस को तलाश थी। इमीग्रेशन अफसरों की लापरवाही से निर्दोष महिला का बेवजह उत्पीड़न हुआ।