नोटबंदी के बाद मोटी रकम जमा कराने वालों के खि‍लाफ कार्रवाई हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को वापस लेने की घोषणा के बाद 20 लाख रुपये या उससे ज्‍यादा की राशि‍ जमा कराने वालों पर आयकर वि‍भाग की नजर है। ऐसे तकरीबन दो लाख लोगों ने इनकम टैक्‍स डि‍पार्टमेंट की ओर से सूचना मांगे जाने के बाद भी जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराई या फि‍र रि‍टर्न दाखि‍ल करने में वि‍फल रहे थे। आयकर वि‍भाग ने अब ऐसे लोगों को नोटि‍स जारी कि‍या है। केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने भी देश भर में कर वसूली अभियान शुरू कर रखा है, ताकि‍ कर चोरों को पकड़ा जा सके। सूत्रों का कहना है कि‍ सीबीडीटी के अध्‍यक्ष सुशील चंद्रा ने अधिकारि‍यों को ऐसे लोगों के खि‍लाफ कार्रवाई करने को कहा है। ‘टाइम्‍स ऑफ इंडि‍या’ के अनुसार, नवंबर, 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद पांच लाख रुपये या उससे ज्‍यादा की राशि‍ जमा कराने के 18 लाख संदि‍ग्‍ध मामलों की पाहचान की गई थी। आयकर वि‍भाग ने 12 डि‍पोजि‍ट की पुष्‍टि‍ की थी।

आयकर वि‍भाग के एक वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारी ने नोटि‍स भेजने की पुष्‍टि‍ की है। उन्‍होंने बताया कि‍ 20 लाख रुपये या उससे ज्‍यादा की राशि‍ जमा कराने वालों को बहुत ज्‍यादा समय दि‍या गया, ताकि‍ टैक्‍स जमा कर वे खुद को पाक-साफ साबि‍त कर सकें। लेकि‍न, ऐसे लोगों ने इसे लगातार नजरअंदाज कि‍या, ऐसे में कार्रवाई करने के अलावा और कोई वि‍कल्‍प नहीं बचा। आयकर वि‍भाग द्वारा चिह्नि‍त लोगों ने तकरीबन 2.9 लाख करोड़ रुपये जमा कराए थे। इस अधि‍कारी ने बताया कि‍ पहले चरण में 50 लाख रुपये या उससे ज्‍यादा की रशि‍ जमा कराने वाले 70,000 लोगों के खि‍लाफ कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि‍ आरबीआई ने एक बयान जारी कर 99 फीसद से ज्‍यादा की राशि‍ बैंकों में जमा होने की जानकारी दी थी। इसके बाद मोदी सरकार की तीखी आलोचना शुरू हो गई थी। इसके बाद केंद्र ने कर चोरी करने वालों के खि‍लाफ कार्रवाई करने की प्रक्रि‍या शुरू की थी।

नोटबंदी के समय पीएम मोदी ने कहा था कि इस कदम से कालाधन भारत में वापस आएगा और आतंकवाद भी खत्म होगा। नोटबंदी के बाद जनधन खातों में कमी आने से भी सवाल उठे थे। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 में 76.81% जीरो बैलेंस खाते थे। नोटबंदी के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अर्थव्यवस्था में सुधार दिखेगा। सरकार यह अनुमान लगा रही थी कि इस कदम से जीडीपी की रफ्तार बढ़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 7.1% जीडीपी ग्रोथ रेट का सरकार को अनुमान था। इसके अलावा नकली नोटों के चलन में कमी आने का भी अंदाजा था, लेकि‍न इस मोर्चे पर भी सरकार को ज्‍यादा सफलता नहीं मि‍ली।