रामचरितमानस की कुछ चौपाई को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में जमकर विवाद हुआ। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस पर जमकर बयानबाजी की। खुद अखिलेश यादव को इस तरह की टिप्पणी ना करने के लिए कहना पड़ा और दो नेताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया। हालांकि सदन में बोलते हुए सीएम योगी ने रामचरितमानस पर सवाल उठाने वाले नेताओं पर हमला बोला और उस चौपाई का मतलब भी समझाया , जिस पर विवाद खड़ा किया गया था। इसके बाद कांग्रेस नेता भी मुरीद हो गए और सीएम योगी की सराहना की है।
आचार्य प्रमोद ने की सीएम योगी की तारीफ
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने ट्वीट कर लिखा कि राजनीतिक विरोध अपनी जगह हैं लेकिन सत्ता के लिये श्रद्धा से समझौता नहीं किया जा सकता, उत्तर प्रदेश की विधान सभा में आज श्री रामचरितमानस का पक्ष रखने और रामायण का अपमान करने वाले नेताओं की ठुकाई करने के लिये, मैं CM योगी आदित्यनाथ की सराहना करता हूं।
सोशल मीडिया पर लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
किरण गोस्वामी नाम के यूजर ने लिखा कि पहली बार आपने कोई अच्छी बात बोली है, हम आपकी बात की भी सराहना करते हैं बाबाजी। @PramodT92362435 यूजर ने लिखा कि अवश्य आचार्य जी होनी भी चाहिए, एक सच्चे योगी की तारीफ सदा होनी चाहिए, आचार्य जी कभी कभी सत्य लिख जाते हैं, इसलिए आज आचार्य जी की भी तारीफ तो बनती है। संजय नाम के यूजर ने लिखा कि कब आ रहे हैं बीजेपी में आचार्य जी सचिन पायलट के साथ, स्वरों से कुछ बदलाव की खुशबू आ रही है। परिवर्तन संसार का नियम है।
संजय शर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि आस्था से खिलवाड़ नहीं सहा जाएगा, फिर खिलवाड़ करने वाला कोई भी हो। एक यूजर ने लिखा कि आपने योगीजी की सराहना की, अच्छा लगा पूरा विश्व ही उनकी सराहना करता है पर आप दो नावों पर सवारी करने वाले का हाल तो जानते ही होंगे। आपने कहा था जो नबी का हो नहीं सकता वो हमारा हो नहीं सकता फिर ये रामचरित मानस और सनातन से प्रेम कैसा? एक अन्य यूजर ने लिखा कि हां तो फिर सिर्फ श्रद्धा ही संभालो ना सत्ता क्यों चाहिए?
सीएम योगी ने विधानसभा में बोलते हुए कहा था कि ‘‘समाजवादी पार्टी का कार्यालय आज संत तुलसीदास जी के खिलाफ अभियान चला रहा है। ‘रामचरितमानस’ जैसे पावन ग्रंथ को अनादर भाव के साथ जगह-जगह अपमानित करने का प्रयास कर रहा है।’ सीएम योगी ने पंक्ति को समझाते हुए कहा कि ‘‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं, मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं। ढोल, गंवार शूद्र, पसु, नारी। सकल ताड़न के अधिकारी। ढोल एक वाद्य यंत्र है। गंवार का मतलब अशिक्षित से है। शूद्र का मतलब श्रमिक वर्ग से है, किसी जाति विशेष से नहीं।”