केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कुछ दिन पहले नोटबंदी के कारण हो रही परेशानियों की तुलना ‘‘प्रसव पीड़ा’’ से करते हुए कहा था कि इसका परिणाम बच्चे के जन्म की तरह ही ‘‘सुखदायी’ होगा। प्रसाद ने दिल्ली भाजपा के आईटी सेल द्वारा आयोजित एक समारोह में यह टिप्पणी की। इस समारोह में इस बात पर जोर दिया गया कि नोटबंदी किस प्रकार देश को एक नकदी रहित अर्थव्यवस्था में बदलने का एक अवसर है। हालांकि प्रसाद ने कहा कि नोटबंदी के पीछे सरकार का मकसद नकदी रहित नहीं बल्कि ‘‘कम नकदी’’ है । उन्होंने संसद को काम नहीं करने देने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की। प्रसाद ने कहा, ‘‘लोगों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा लेकिन यह पीड़ा उस पीड़ा की तरह है जो एक महिला प्रसव के दौरान झेलती है। अंतत: सभी को उसी तरह खुशी का एहसास होगा जैसा कि बच्चे के पहली बार रोने पर होता है।’’ उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सिंह बोले तो उन्हें ‘‘खुशी’’ हुई। प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं दो लोगों के भाषणों का उत्सुकता से इंतजार करता हूं। मनमोहन सिंह एवं राहुल गांधी।’’ उन्होंने विदेश की यात्राओं के जरिए वैश्विक समुदाय में भारत का कद ‘‘ऊंचा’’ करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की।
प्रसाद ने कहा कि बैंकों में जमा कराई गई राशि का इस्तेमाल भारतीय सेना को मजबूत बनाने में निवेश करने, किसानों, छोटे व्यापारियों की मदद करने और सड़कें बनाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से ‘‘नक्सलियों एवं आतंकवादियों’’ को काफी परेशानी हो रही हैं। इस अवसर पर मौजूद दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने कहा कि इस कदम का विरोध कर रहे अरविंद केजरीवाल एवं अखिलेश यादव जैसे राजनीतिज्ञ वास्तव में ‘‘इसके लाभों के बारे में जानते हैं।’’
हालांकि सोशल मीडिया पर प्रसाद अपने इस बयान के लिए खासी आलोचना झेल रहे हैं। AIB के रोहन जोशी ने पूछा कि क्या मंत्रीजी को पता है कि भारत में हर साल बच्चे को जन्मते समय 45,000 महिलाओं की मौत हो जाती है। टीएमसी के सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने प्रसाद की टिप्पणी को ‘भद्दी उपमा’ करार दिया। अन्य ने कहा कि इसका मतलब देश को पटरी पर आने में अब भी आठ महीने बचे हुए हैं। यूजर्स की कैसी प्रतिक्रिया रही, नीचे देखिए:
https://twitter.com/mojorojo/status/810726750359588864
https://twitter.com/bilal_motorwala/status/810545766401871873
@rsprasad @JantaKaReporter ye labour pain sirf garibo ko kyo ????? Labour pain politician, businessman ko kyo nahi ho raha….
— Devkinandan Patodia (@devkinandan_p) December 17, 2016
No, no he didn't. And could men pls stop comparing stuff w/ labour pains, they have no damn clue what they feel like!
— Kavitha (@kavithagops) December 19, 2016
The inconvenience if any, is "Labour Pain". "Painful Pleasure"!
— bangalore (@bangalo86307793) November 23, 2016
@sanjayuvacha @sabrangindia and how do @rsprasad knows the labour pain exactly ?
— आत्मनिर्भर Bull بُلا बुल्ल (@Naamhaibulla) December 18, 2016
So @rsprasad is the right person to know what this "labour pain" is?https://t.co/DmKypF4YXH
— JayKay (@JayKay074) December 17, 2016