ओडिशा ट्रेन हादसे में 261 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में हजार से अधिक लोग घायल हैं। राहत बचाव कार्य पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बालासोर पहुंच चुके हैं। हालांकि घटना के बाद स्थानीय लोगों के ट्रेन में फंसे और घायलों की मदद करने आगे आये। अगर हम कहें कि ओडिशा के लोगों मानवता की मिशाल पेश की है, तो यह गलत नहीं है।
सबसे पहले यात्रियों ने की एक दूसरे की मदद
उड़ीसा में जब हादसा ट्रेन हुआ तो ट्रेन में फंसे लोगों ने सबसे पहले एक दूसरे की मदद की। जिन्हें बाहर निकाल सकते थे, निकाले। जिनकी जान बचाई जा सकती थी, यात्रियों ने मदद की। कई यात्रियों ने बताया कि बोगी में फंसे में लोगों की हालत बेहद खराब थी, किसी तरह एक दूसरे की मदद कर कुछ लोगों को बाहर निकाला गया था।
रेस्क्यू टीम से पहले स्थानीय लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ
हादसे के बाद स्थानीय लोग तुरंत पहुंचे और राहत बचाव कार्य अपने स्तर पर शुरू कर दिया। ग्रामीण जिन्हें निकाल सकते थे, उन्हें बाहर निकाला। पानी पिलाया और सुरक्षित स्थान पर बैठाया। इसके कई वीडियो भी सामने आ चुके हैं जिसमें ग्रामीण बोगियों में फंसे लोगों की मदद करते नजर आये।
Blood Donation के लिए आगे आये लोग
हालांकि एक्सीडेंट के बाद जब यह जानकारी सामने आई कि घायलों की संख्या बहुत ज्यादा है तो कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लोगों से सुबह अस्पताल पहुंचकर खून दान देने की अपील की। आईपीएस अरुण बोथरा ने भी ट्वीट किया था, “रेल दुर्घटना में घायलों की बड़ी संख्या को देखते हुए सरकारी अस्पताल में रक्त की आवश्यकता हो सकती है। कल सुबह बालासोर और आस-पास के अस्पतालों में खून की जरूरत पड़ सकती है।”
इसके बाद सामने आई तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि अस्पताल के बाहर 3 जून की सुबह स्थानीय लोग खून दान करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच गए। संख्या इतनी अधिक थी कि अस्पताल के बाहर भीड़ लग गई। IPS अरुण बोथरा ने ट्वीट कर कहा, “लोग घंटों तक खून दान करने के लिए इंतजार करते रहे, यहां के लोग बेहद दयालु हैं।”
खून दान देने वालों की भारी भीड़ की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है और लोग स्थानीय लोगों की जमकर तारीफ कर रहे हैं। इस ट्रेन एक्सीडेंट में ओड़िसा के स्थानीय लोग जिस तरह घायलों की मदद के लिए सामने आये, एक मिशाल कहा जा रहा है।
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