शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने 6 दिसंबर को इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें हिंदू धर्म में शामिल कराया। वसीम रिजवी ने अपना नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रख लिया। धर्म परिवर्तन के बाद वसीम रिजवी ने टाइम्स नाउ नवभारत चैनल पर इंटरव्यू दिया।

इस इंटरव्यू के दौरान एंकर सुशांत सिन्हा ने उनसे पूछा कि आपको अपने नए नाम की आदत पड़ गई है या जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बुलाने पर आपको यह समझ नहीं आता कि किसको बुलाया जा रहा? इस सवाल पर रिजवी ने कहा कि मुझे इस नाम की आदत हो गई है। उन्होंने कहा कि जो लोग परेशान हैं कि मैंने इस्लाम छोड़ दिया है। मैंने इस्लाम छोड़ा नहीं है बल्कि मुझे निकाला गया है। हमने जब इस्लाम की सच्चाई लोगों के सामने लाई तो मुझे इस्लाम से निकाला गया।

उन्होंने कहा कि मैंने इस्लाम के फाउंडर मोहम्मद के जब चरित्र के बारे में लोगों को बताया तो मुझ पर कई तरह के इल्जाम लगाए गए। उनकी इस बात पर एंकर ने विफरते हुए पूछा कि आप कह रहे हैं कि आपने इस्लाम छोड़ा नहीं बल्कि आपको निकाला गया है। यह क्यों माना जाए कि आपने हिंदू धर्म को अपनाया है? आपको धक्के मार कर जब निकाला गया तो जहां जगह मिली वहां आ वहां गए। आप तो मजबूरी में हिंदू बने।

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रिजवी ने कहा कि क्या आप इस्लाम को धर्म समझते हैं। हम तो केवल एक आतंकी गुट का पार्ट थे। हमें उस आतंकी गुट ने इसलिए बाहर कर दिया क्योंकि हमने उसकी पोल खोलनी शुरू कर दी थी। इस पर एंकर ने कहा कि आप स्वयं यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि आपको उस आतंकी गुट से धक्के मार कर निकाला गया। कैसे माना जाए कि आप हिंदू हैं?

इस पर रिजवी ने जवाब दिया कि आप क्यों नहीं मानेंगे कि मैंने हिंदू धर्म अपनाया है। पूरी रीति रिवाज के साथ मैं इस धर्म में आया हूं। मैं इस्लाम में रहकर उस धर्म में रिफॉर्म करना चाह रहा था लेकिन वह उसे रिफॉर्म करना ही नहीं चाहते हैं। यह वैसे ही दरिंदे बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की लड़ाई आज से नहीं लड़ रहा हूं। मैंने राम मंदिर की मांग करते हुए हैं इसकी शुरुआत कर दी थी।