नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रविवार को 125 वीं जयंती थी। उनकी जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं सोशल मीडिया यूजर्स भी नेता जी को अपने – अपने तरीके से याद करते दिखाई दिए। ऐसे में टाइम्स नाउ नवभारत चैनल के पत्रकार सुशांत सिन्हा ने गांधी और नेताजी को लेकर एक ट्विटर पोल किया। उनके इस पोल पर सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह की प्रतिक्रिया देने लगे।

दरअसल सुशांत सिन्हा ने लिखा कि आजादी के लिए किनका तरीका सही था? उन्होंने तीन विकल्प रखा। जिसमें 38 % लोगों ने गांधी के नाम पर मुहर लगाई, बोस के नाम पर 44% लोगों ने वोट दिया। वहीं 18% यूजर्स ने दोनों को सही बताया। उनके ट्विटर पोल पर कुछ यूजर्स उनका समर्थन करते हुए हुए दिखाई दिए तो वहीं कुछ लोगों ने उनसे कई तरह के सवाल पूछे।

एक यूजर ने उनको इतिहास पढ़ने की सलाह देते हुए लिखा कि इतिहास पढ़ लो फिर ये सर्वे डिलीट कर दोगे। पंकज जैन नाम के टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया कि आपने तो आरएसएस का नाम ही नहीं दिया? अनुराग सिंह नाम के एक यूजर लिखते हैं – मुझे लगता है कि ऑप्शन में सावरकर का नाम भी होना चाहिए था। पिंटू मीणा नाम के एक ट्विटर यूजर ने कमेंट किया कि कंगना का नाम क्यों गायब कर दिया?

आनंद शुक्ला नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि अच्छा हुआ कि आपने सावरकर और सुभाष चंद्र बोस पर पोल नहीं कराया, नहीं तो बेचारे आरएसएस वाले माथा फोड़ लेते अपना। युसूफ नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं – जिन्हें आजादी के ‘अ’ की भी जानकारी नहीं है, वह इस तरह की पोल करा रहे हैं। राजकिशोर नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया – ये तो ऐसा हो गया कि शंकर जी ज्यादा ताकतवर है या फिर विष्णु जी…। महापुरुषों के बीच में ऐसी तुलना.. पता नहीं.. कितनी उचित?

अजय प्रजापति नाम के एक यूजर लिखते हैं कि महापुरुषों के नाम पर इस तरह की तुलना करवाना कहां तक सही है? खैर यहां पर कुछ लोग आजादी मिलने के बाद भी गुलाम बने बैठे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1920 में आईएएस की परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की थी, लेकिन उन्होंने कभी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की और उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजों से मुकाबला करने का फैसला किया।