कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा दिए गए एक बयान पर सियासी भूचाल आ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 7 सालों से हम अमेरिकियों के गुलाम बनकर रह गए हैं। साल 2014 के बाद से हम अमेरिका के गुलाम हैं। उनके इसी बयान पर टाइम्स नाउ नवभारत चैनल पर डिबेट के दौरान एंकर सुशांत सिन्हा ने वरिष्ठ पत्रकार सबा नकवी से सवाल पूछा तो वह शो छोड़ कर चली गईं।

एंकर ने नकवी से पूछा – आपसे जैसे ही बांग्लादेश के माइनॉरिटी पर सवाल किया जाता है तो आप परेशान हो जाती हैं? इस पर नकवी ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था कि यहां इस तरह का प्रोग्राम है। मैं ऐसे बात करती ही नहीं हूं। चलिए इस पर बात करते हैं। नकवी द्वारा कही बातों पर डिबेट में मौजूद राजनीतिक विश्लेषक इशकरण सिंह भंडारी ने एंकर से कहा कि लगता है आपने जंजीर और बेड़ियां डालकर सबा नकवी को इस डिबेट में लेकर आए हैं।

भंडारी ने कहा – भारत ने माइनॉरिटी लिए एक कानून बनाया, जिससे और देशों में रह रहे माइनॉरिटी को बचाया जा सके। इस पर नकवी ने कहा, ‘ हम अफगानिस्तान से अमेरिका के पीछे पीछे भाग आए। हम लोग मदद करने के बजाय वहां से भाग कर चले आए।’ इस दौरान सबा नकवी और भंडारी के बीच बहस होने लगी।

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नकवी ने कहा कि आप यहां बैठकर अपने मुल्क को बचाइए। मुझे माफ करिए। इतना कहकर नकवी शो छोड़ कर चली गईं। इस पर एंकर ने कहा कि आपका मुल्क और आपके प्रधानमंत्री… यह आपकी कैसी सोच है? अपनी बात बढ़ाते हुए एंकर ने कहा – हम यहां पर किसी को बेड़ियों में बांधकर नहीं ले आते हैं। अगर किसी को शो का हिस्सा नहीं बनना है तो वह साफ तौर पर मना कर सकता है।

इस वीडियो को शेयर करते हुए एंकर सुशांत सिन्हा ने लिखा कि अब सबा मैडम शो छोड़कर भाग गईं… तीखे सवाल किसी को पसंद ही नहीं आते… गजबे है। डिबेट के इस वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कलिंदर यादव (@kalindar_yadav) नाम के टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि वामपंथियों ने आज तक सिर्फ सवाल करना जाना है उत्तर देना नहीं। इसलिए वामपंथी हर मुद्दे पर एक धारणा तय करते हैं और तर्क की जगह कुतर्क करते हैं।

सुनीत त्यागी (@sunittyagi007) नाम के ट्विटर एकाउंट से लिखा गया कि इनके लिए जवाब देने से आसान है कार्यक्रम छोड़कर चले जाना। सचिन शर्मा (@sachins0522) नाम के टि्वटर हैंडल से कमेंट आया – आजकल लोकतंत्र बचाने का दावा करने वाले लोग सवालों से भागते नजर आ रहे हैं, लेकिन सवालों से भागकर बहुत से उत्तर बिना कहे ही दे जाते हैं।