जवान बेटा बुजर्ग माता-पिता का सहारा था, वे नेत्रहीन थे वही उनकी सारी जरूरतों का ख्याल रखता था। वह उनके खाने-पीने से लेकर दवाइयों तक की देखरेख करता था। एक दिन घर के अंदर ही उसकी मौत हो गई, हालांकि माता-पिता को पता नहीं चला और वे उसे समय-समय पर आवाज लगा रहे थे। बुजुर्द दंपत्ति को जब भी भूख लगती या प्यास लगती तो वे अपने बेटे को आवाज देते, कोई जवाब न मिलने पर वे चुप हो जाते और फिर थोड़ी देर बाद इस आस में आवाज लगाते की शायब अब बेटा सुन ले।
बुजुर्ग माता-पिता को लगा होगा कि उनका बेटा घर से कहीं बाहर गया होगा, अब आएगा-अब आएगा। वे चार दिनों तक कुछ खाए भी नहीं इसलिए उनकी हालत खराब हो गई। पुलिस ने जब कमरा खोलकर देखा तो होश उड़ गए। बेटे के इंतजार में उनकी हालत खराब हो गई थी, सोचिए उन चार दिनों में उन पर क्या बीती होगी, बेटे के लिए कितनी बेचैनी हुई होगी, वे बस प्रर्थना कर रहे होंगे कि वह बस कहीं से भी आ जाए। हालांकि वह अब नहीं लौटने वाला क्योंकि वह तो दुनिया छोड़कर जा चुका है।
बेटे का इंतजार करते रहे माता-पिता
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तेलंगाना में हैदराबाद के एक घर में 30 साल के बेटे के शव के साथ रहते मिले नेत्रहीन बुजुर्ग दंपति को पता नहीं था कि उनके बेटे की चार दिन पहले मौत हो चुकी है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि जब घर से बदबू आने लगी तो सोमवार को पड़ोसियों ने पुलिस को जानकारी दी, जिसके बाद एक टीम मौके पर पहुंची और उसे शव और बेहोशी की हालत में ज़मीन पर पड़े माता-पिता मिले। नगोले थाने के प्रभारी ए. सूर्य नायक ने बताया कि शख्स की घर में ही मौत हो गई थी और शक है कि उसकी मौत चार-पांच दिन पहले सोते में हुई थी।
अधिकारी ने आगे बताया कि बुजुर्ग दंपति को पता नहीं था कि उनके छोटे बेटे की मौत हो चुकी है और वह खाने और पानी के लिए उसे आवाज़ लगाते रहे मगर कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने यह बताया कि उनकी आवाज़ शायद पड़ोसी भी नहीं सुन सके। पुलिस ने उन्हें खाना और पानी उपलब्ध कराया है। दंपति से उनके बड़े बेटे की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उसे सूचित किया जो शहर में दूसरे इलाके में रहता है। शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजने के साथ ही मामला दर्ज कर लिया गया है। यह कहानी जानकर लोग भावुक हो रहे हैं, किसी भी माता-पिता को ऐसा दिन न देखना पड़े।