Robert Koch Google Doodle: जर्मनी के फिजिशियन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कोच का आज 174वां जन्मदिन है जिसके अवसर पर गूगल ने उन्हें उनका डूडल बनाकर श्रृद्धांजलि दी है। सूक्ष्मजीवों से होने वाली बीमारियों की पहचान करने वाले कोच को उनके बेहतरीन योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। कोच का जन्म 11 दिसंबर, 1853 को हनोवर शहर में हुआ था। छोटी से उम्र से ही वे शिक्षा में उत्कृष्ट रहे थे। 1848 में स्कूल की शुरुआत करने से पहले ही उन्होंने खुद को सिखाया था की कैसे लिखते और पढ़ते हैं। 1862 में उन्होंने स्नातक पूरी की। जब वे 19 साल के थे तो उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए गॉटिंगन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया लेकिन तीन सेमेस्टर पूरा करने के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वे मेडिसिन की पढ़ाई करेंगे क्योंकि उनकी इच्छा थी की वे फिजिशियन बनें।

स्नातक पूरा करने के बाद कोच ने 1866 में फ्रांको-प्रूसियन वॉर में एक सर्जन के तौर पर काम किया। इसी बीच उन्हें इम्पेरियल डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ में सरकारी एडवाइजर बना दिया गया। इसके बाद उन्होंने अपने मरीजों के परीक्षण कक्ष से जुड़ी हुई लैब में सूक्ष्मजीवों पर रिसर्च करना शुरु किया। सूक्ष्मजीवों के क्षेत्र में युगपुरुष माने जाने वाले कोच ने कॉलरा, ऐन्थ्रेक्स और टीबी जैसी बीमारियों पर गहन अध्ययन किया था। अपने अध्ययन से उन्होंने यह साबित किया था कि सूक्ष्मजीवों के कारण मनुष्य के शरीर में कई रोग पैदा होते हैं। इतना ही नहीं कोच ने टीबी जैसी बीमारी की भी खोज की थी जिसे कोच डीजीज के रूप में भी जाना जाता है। कोच ने नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को ‘सूक्ष्‍मजीवों’ पर रिसर्च के लिए प्रेरित किया। उनकी बदौलत माइक्रोबॉयलजिस्‍ट्स की एक नई पौध विज्ञान के क्षेत्र में आई और कई नई खोजों की नींव रखी गई।

इसके अलावा 1883 में वे कॉलेरा जैसी गंभीर बीमारी के पीछे का कारण पता लगाने के लिए भारत भी आए थे जो कि उस समय देश में महामारी का रूप ले चुकी थी। कोच ने अपने जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त किए। जीवित फिजिशियन के सम्मान में रॉबर्ट कोच मेडल भी स्थापित किया गया। हार्ट अटैक के कारण 9 अप्रैल, 1910 में रॉबर्ट कोच काफी बीमार पड़ गए थे जिससे वे कभी उभर नहीं पाए। 27 मई, 1910 को 66 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी।कॉ