एनडीटीवी इंडिया केे पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर 18 जून को एक पोस्‍ट लिखा। इसमें उन्‍होंने लद्दाख में भारत-चीन के बीच खूनी झड़प पर प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया जस की तस लिखी है। फिर, पुलवामा हमले के बाद आई प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया बताई है। उन्‍होंने कहा है कि दोनों प्रतिक्रियाओं की भाषा में काफी अंतर है। साथ ही, सवाल खड़ा किया है कि प्रतिक्रिया में इस बुनियादी सवाल का ही जवाब नहीं है कि क्‍या चीन ने हमारी जमीन पर कब्‍जा कर लिया है? पहले आप उनकी फेसबुक पोस्‍ट पर पढ़िए, फिर इसमें उठाए गए उनके सवाल पर लोग कैसे जवाब दे रहे हैं, वह पढ़िएगा। ये है रवीश कुमार का पोस्‍ट, जो उन्‍होंने अपने फेसबुक पेज पर 18 जून (लद्दाख में सैनिकों की शहादत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला बयान आने के अगले दिन) को लिखा:

काफ़ी अंतर है पुलवामा हमले और चीन से गुत्थम गुत्थी के बाद प्रधानमंत्री की भाषा में

कूटनीति और रणनीति की भाषा बारीक होती है। इसे चुनावी भाषा से अलग रखा जाना चाहिए। व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी की मीम से मुल्क को न समझें। चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर क़ब्ज़ा किया है या नहीं , क्या भारतीय सीमा क्षेत्र में क़ब्ज़ा कर लिया है , इन प्रश्नों का जवाब क्या प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया में मिलता है ? पहले आप कल का बयान पढें और फिर पुलवामा हमले के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया को पढ़ें ।

साथियों,

भारत माता के वीर सपूतों ने गलवान वैली में हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हुये सर्वोच्च बलिदान दिया है।

मैं देश की सेवा में उनके इस महान बलिदान के लिए उन्हें नमन करता हूं, उन्हें कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ।
दुःख की इस कठिन घड़ी में हमारे इन शहीदों के परिजनों के प्रति मैं अपनी समवेदनाएं व्यक्त करता हूँ।

आज पूरा देश आपके साथ है, देश की भावनाएं आपके साथ हैं।हमारे इन शहीदों का ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
चाहे स्थिति कुछ भी हो, परिस्थिति कुछ भी हो, भारत पूरी दृढ़ता से देश की एक एक इंच जमीन की, देश के स्वाभिमान की रक्षा करेगा।

भारत सांस्कृतिक रूप से एक शांति प्रिय देश है। हमारा इतिहास शांति का रहा है।भारत का वैचारिक मंत्र ही रहा है- लोकाः समस्ताः सुखिनों भवन्तु।हमने हर युग में पूरे संसार में शांति की, पूरी मानवता के कल्याण की कामना की है।हमने हमेशा से ही अपने पड़ोसियों के साथ एक cooperative और friendly तरीके से मिलकर काम किया है। हमेशा उनके विकास और कल्याण की कामना की है।

जहां कहीं हमारे मतभेद भी रहे हैं, हमने हमेशा ही ये प्रयास किया है कि मतभेद विवाद न बनें, differences disputes में न बदलें। हम कभी किसी को भी उकसाते नहीं हैं, लेकिन हम अपने देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता भी नहीं करते हैं।

जब भी समय आया है, हमने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, अपनी क्षमताओं को साबित किया है।त्याग और तितिक्षा हमारे राष्ट्रीय चरित्र का हिस्सा हैं, लेकिन साथ ही विक्रम और वीरता भी उतना ही हमारे देश के चरित्र का हिस्सा हैं।

मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूँ, हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगा।हमारे लिए भारत की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है, और इसकी रक्षा करने से हमें कोई भी रोक सकता। इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए।भारत शांति चाहता है। लेकिन भारत को उकसाने पर हर हाल में निर्णायक जवाब भी दिया जाएगा।देश को इस बात का गर्व होगा की हमारे सैनिक मारते मारते मरे हैं. मेरा आप सभी से आग्रह है की हम दो मिनट का मौन रख के इन सपूतों को श्रद्धांजलि दें.”

14 फ़रवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी हमला होता है। प्रधानमंत्री उस दिन डिस्कवरी चैनल के लिए फ़िल्म शूटिंग कर रहे थे। फ़िल्म शूटिंग भी लोक कार्य है। जनहित होता है। ख़ैर सारी बातों को समझने के बाद 15 जून को उनका बयान आता है।

“ सबसे पहले मैं पुलवामा के आतंक के हमले में शहीद जवानों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्‍होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्‍योच्‍छावर किए हैं। दुख की इस घड़ी में मेरी और हर भारतीय की संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।

इस हमले की वजह से देश में जितना आक्रोश है, लोगों का खून खोल रहा है; ये मैं भलीभांति समझ पा रहा हूं। इस समय जो देश की अपेक्षाएं हैं, कुछ कर गुजरने की भावनाएं हैं, वो भी स्‍वाभाविक हैं। हमारे सुरक्षा बलों को पूर्ण स्‍वतंत्रता दे दी गई है। हमें अपने सैनिकों के शोर्य पर, उनकी बहादुरी पर पूरा भरोसा है। मूझे पूरा भरोसा है कि देशभक्ति के रंग में रंगे लोग सही जानकारियां भी हमारी एजेंसियों तक पहुंचाएंगे ताकि आतंक को कुचलने में हमारी लड़ाई और तेज हो सके।

मैं आतंकी संगठनों को और उनके सरपरस्‍तों को कहना चाहता हूं कि वे बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं, बहुत बड़ी कीमत उनको चुकानी पड़ेगी।

मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के पीछे जो ताकते हैं, इस हमले के पीछे जो भी गुनहगार हैं, उन्‍हें उनके किए की सजा अवश्‍य मिलेगी। जो हमारी आलोचना कर रहे हैं, उनकी भावनाओं का भी मैं आदर करता हूं। उनकी भावनाओं को मैं भी समझ पाता हूं और आलोचना करने का उनका पूरा अधिकार भी है।

लेकिन मेरा सभी साथियों से अनुरोध है कि ये वक्‍त बहुत ही संवेदनशील और भावुक पल है। पक्ष में या विपक्ष में, हम सब राजनीतिक छींटाकशी से दूर रहें। इस हमले का देश एकजुट हो करके मुकाबला कर रहा है, देश एक साथ है, देश का एक ही स्‍वर है और यही विश्‍व में सुनाई देना चाहिए क्‍योंकि लड़ाई हम जीतने के लिए लड़ रहे हैं।

पूरे विश्‍व में अलग-थलग पड़ चुका हमारा पड़ोसी देश अगर ये समझता है कि जिस तरह के कृत्‍य वो कर रहा है, जिस तरह की साजिशें रच रहा है, उससे भारत में अस्थिरता पैदा करने में सफल हो जाएगा तो वो ख्‍वाब हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ दे। वो कभी ये नहीं कर पाएगा और न कभी ये होने वाला है।

इस समय बड़ी आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हमारे पड़ोसी देश को ये भी लगता है कि वो ऐसी तबाही मचाकर भारत को बदहाल कर सकता है; उसके ये मंसूबू भी कभी पूरे होने वाले नहीं हैं। वक्‍त ने सिद्ध कर दिया है कि जिस रास्‍ते पर वो चले हैं, वो तबाही देखते चले हैं और हमने जो रास्‍ता अख्तियार किया है, वो तरक्‍की करता चला जा रहा है।

130 करोड़ हिन्‍दुस्‍तानी ऐसी हर साजिश, ऐसे हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। कई बड़े देशों ने बहुत ही सख्‍त शब्‍दों में इस आतंकी हमले की निंदा की है और भारत के साथ खड़े होने की, भारत को समर्थन की भावना जताई है।

मैं उन सभी देशों का आभारी हूं और सभी से आह्वान करता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ सभी मानवतावादी शक्तियों को एक हो करके लड़ना ही होगा, मानवतावादी शक्तियों ने एक हो करके आतंकवाद को परास्‍त करना ही होगा।

आतंक से लड़ने के लिए जब सभी देश एकमत, एक स्‍वर, एक दिशा से चलेंगे तो आतंकवादक कुछ पल से ज्‍यादा नहीं टिक सकता है।

साथियो, पुलवामा हमले के बाद अभी मन:स्थिति और माहौल दुख के साथ आक्रोश से भरा हुआ है। ऐसे हमलों का देश डटकर मुकाबला करेगा। ये देश रुकने वाला नहीं है। हमारे वीर शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। और देश के लिए मर-मिटने वाला हर शहीद दो सपनों के लिए जिंदगी लगाता है- पहला, देश की सुरक्षा, दूसरा, देश की समृद्धि। मैं सभी वीर शहीदों को, उनकी आत्‍मा को नमन करते हुए, उनके आशीर्वाद लेते हुए, मैं फिर एक बार विश्‍वास जताता हूं‍ कि जिन दो सपनों को ले करके उन्‍होंने जीवन को आहुत किया है, उन सपनों को पूरा करने के लिए हम जीवन का पल-पल खपा देंगे। समृद्धि के रास्‍ते को भी हम और अधिक गति दे करके, विकास के रास्‍ते को और अधिक ताकत दे करके, हमारे इन वीर शहीदों की आत्‍मा को नमन करते हुए आगे बढ़ेंगे और उसी सिलसिले में मैं वंदे भारत एक्‍सप्रेस के concept और डिजाइन से लेकर इसको जमीन पर उतारने वाले हर इंजीनियर, हर कामगार का आभार व्‍यक्‍त करता हूं।”

रवीश कुमार के इस पोस्‍ट पर कई लोगों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं। छह घंटे में 2600 से ज्‍यादा लोगों ने कमेंट किए। कुछ कमेंट्स हम जस का तस यहां रख रहे हैं।

Jitendra Pratap मां भारती के सच्चे सपूतों को नमन है सच्चे पत्रकार रवीश कुमार जी विदेश नीति पूरी तरह फेल हो चुकी है और हमारे देश का पूरे विश्व में कितना डंका बज रहा है यह भी पता चल रहा है ज्यादा कुछ कहने में है नहीं एक सेना ही है जिसके दम पर आज हम बचे हुए हैं बाकी राजनेताओं का क्या उनको तो केवल राजनीति करनी

Drx Rohitash Kumar Lakhlan पुलवामा में आंतकवादी थे,,लदाख में आमने सामने दोनों तरफ सेना थी,,आप अपनी पत्रकारिता में सुधार करे,,रात को सुधीर चौधरी का चैनल देखा करो ,थोड़ी बुद्धि का विकास करो ,अभी आप की बुद्धि और राहुल की बुद्धि में कोई अंतर नही है

Rahul Rathore दौनों मामलों में अंतर करना भी जरूरी है कयोंकि जब कोई विरोधी कमजोर स्थिति में रह्ते हुए भी लगातार आपको परेशान करता है, तो तैश में आना स्वाभविक है ।
किन्तु यदि कुछ वैसा ही कृत्य आपके बड़े आर्थिक दोस्त द्वारा काफी अन्तराल बाद किया हो जिसमें हमारे जवानों ने भी उसी समय वैसा ही जवाब दे दिया हो तो कूटनीतिक रूप से सही ही माना जायेगा । यहां कायरता या पक्षपात का आरोप गलत ही होगा ।

Ayaan Malik सोचा याद दिला दू
गोधरा कांड -भाजपा सरकार
कांधार हाईजैक, अक्षरधाम हमला, रघुनाथ मंदिर हमला, कारगिल हमला, संसद पर हमला
अमरनाथ यात्रियों पर हमला,पठानकोट हमला
उरी हमला, पुलवामा हमला -भाजपा सरकार
अब इन हमलो की तारीखे जरा इलेक्शन की तारीखो से मिला लेना..

Praveen Shakya आंतकी हमले में और दो देशों की सेना के बीच सीमा की सुरक्षा के लिए भारत के जवानों को शहीद होने में फर्क है। इसीलिए प्रतिक्रिया भी अगल हैं। और इसमें कुछ ग़लत नहीं है sir।

ऋतु राज रवीश कुमार जी पुलवामा एक आतंकी घटना थी ,और प्रधानमंत्री का बयान आतंक और उनके आकाओं के लिए था ,
गलवान की घटना एक सैन्य बलों की झड़प थी ….
आपको दोनों घटनाएं सामान लगती हैं क्या?
और प्रधानमंत्री कोई टेप रिकॉर्डर थोड़े ना है कि एक ही तरह से बोले जाएँ ?
आप इस वक़्त तो अपनी कुंठा और घृणा दबा लीजिये ….
सादर…

Deepak Rauniyar सर इन दो बयानों के अपने अलग अलग मायने हैं। पुलवामा हमले में आतंकियों को सबक सिखाना था तो लहजा भी उसी के अनुरूप था और चीन हमले में चीन और चीनी सेना को सबक सिखाना है,न कि किसी आतंकी को, तो जाहिर सी बात है लहजा भी थोड़ा परिवर्तित रहेगा लेकिन इसका मतलब ये कत्तई नही निकाला जाना चाहिए कि भारत शांत बैठेगा,चीन को देश की सेना माकूल जवाब जरूर देगी,ये एक भारतीय होने के नाते मुझे पूर्ण विश्वास है।
जय हिंद! जय हिंद की सेना!

Saurabh Suman चीन और पाकिस्तान दो बिल्कुल भिन्न देश है। तो दोनों से निपटने और बात करने का तरीका भी अलग होगा। प्रधानमंत्री की बातों का आलोचना करना अलग पहलू है मैं भी करता हूँ। लेकिन अभी युद्ध का दबाव डालना ठीक नहीं।

Atul Yadav पुलवामा हमले और चीन के साथ गुथम गुत्थी को आप एक ही चश्मे से क्यों देख रहे हैं!!!
पाकिस्तान आए दिन बॉर्डर पर नापाक हरकतें करता है आए दिन हमारे सैनिक मारे जाते हैं !!वहां पाकिस्तान के सैनिक खुद सामने आकर युद्ध नहीं करते बल्कि अपने आतंकियों को भेजते हैं!! वहां पर कोई बातचीत का रास्ता खुला नहीं है वहां तो सिर्फ गोलियों से जवाब दिया जाएगा!!
उनके प्रति एक अलग प्रकार का आक्रोश है!!
वही सन 62 से चाइना के साथ बॉर्डर पर कोई भी गोलीबारी नहीं हुई है, यह एक अलग मुद्दा है!! चाइना के साथ बातचीत का रास्ता भी खुला है , चाइना के साथ हमारा बहुत बड़ा व्यापार भी चलता है, बड़े पैमाने पर वहां से आदान-प्रदान होता है,और हम शांति प्रिय देश हैं और शांति के लिए स्वाभिमान का समझौता नहीं करेंगे आप निश्चिंत रहिए!!