कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं। उनके संसदीय क्षेत्र का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ युवा दिन के उजाले में लालटेन लेकर अपने सांसद को खोज रहे हैं। इतना ही नहीं, वह एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि मिली क्या? कुछ लोग जवाब देते हुए कह रहे हैं कि नहीं मिली।

वायरल वीडियो में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के पुत्र पीयूष सिंह कुछ युवाओं के साथ दिखाई दे रहे हैं। कुछ के हाथ में लालटेन है और वह लालटेन लेकर इधर उधर घूम रहे हैं। वीडियो में आवाज आ रही है, ‘भैया मिलीं का, भैया हिआं तो नहीं हैं, तुमका मिलीं का, अरे साढ़े चार साल से ढूंढ रहे हैं लेकिन हमका नहीं मिलीं, तुम सबका मिलीं का।’ इसके बाद सभी मिलकर सोनिया गांधी के खिलाफ नारेबाजी करते हैं।

सोनिया गांधी को खोजते लोगों का वीडियो वायरल

आरोप लगाया जा रहा है कि सोनिया गांधी अपने संसदीय क्षेत्र में दिखाई नहीं देती हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से पहले विरोधी अब उन्हें लालटेन लेकर खोजने की कोशिश कर रहे हैं। नारेबाजी करते हुए मंत्री पुत्र ने कहा कि ‘सोनिया गांधी कहां गईं’। इसके जवाब में आया, ‘नहीं मिलीं नहीं मिलीं।’ सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो रहा है और इस पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

विवेक त्रिपाठी ने लिखा, ‘रायबरेली में लालटेन लेकर सोनिया गांधी को ढूंढ रहे लोग। सोनिया गांधी तो भूल ही गई हैं रायबरेली। अभी तक इन युवाओं को भी उनकी याद नहीं थी। चुनाव सिर पर आते ही वो याद आ गईं।’ एक अन्य ने लिखा, ‘अगर लालटेन लेकर ही खोजना था तो रात में खोजते, ऐसे तो ये नुक्कड़ नाटक के अलावा कुछ नहीं लग रहा है।’ एक ने लिखा, ‘जैसे अमेठी की जनता ने राहुल गांधी को बाहर का रास्ता दिखाया है, वैसे ही अब रायबरेली की जनता सोनिया गांधी जी को बाहर का रास्ता दिखाने वाली है।’

राजेंद्र सिंह ने पीयूष सिंह के वीडियो पर लिखा, ‘कल तक तो सोनिया जी के चरणों में ही नतमस्तक थे? हवा का रुख देखा। तो अपना आशियाना ही बदल दिया। सोनिया गांधी से ज्यादा रायबरेली की जनता आपके बारे में जानती है।’ आशीष सूद ने ट्वीट किया, ‘गांधी परिवार ने रायबरेली को सिर्फ संसद आने का द्वार बना रखा है। जिसका जीता जागता उदाहरण सोनिया गांधी जी हैं। गांधी परिवार ने रायबरेली को कभी अपना नहीं समझा है और ना ही रायबरेली के लोगों को अपना समझा है। अमेठी के बाद अगला नंबर रायबरेली का ही है।’