प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से आए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया। इसके बाद पीएम मोदी खुद चीतों की डीएसएलआर कैमरे से तस्वीर लेते दिखाई दिए, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पीएम मोदी द्वारा चीतों को जंगल में छोड़ने और फिर फोटोग्राफी के वीडियो पर सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

क्या बोले पीएम मोदी?

चीतों को जंगल में छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मानवता के सामने ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं, जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधारकर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। कुनो नेशनल पार्क में इन चीतों को देखने के लिए लोगों को धैर्य दिखाना होगा और कुछ महीनों तक इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। कुनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

@AggaAlka यूजर ने लिखा कि वह परेशान है, डरा हुआ है। ये देख कर किसको मजा आ रहा होगा? बर्थडे पर कौन बंधक बनाता है जानवर को? @AnumehaSingh10 यूजर ने लिखा कि देश में इंसानो की हालत जानवरों से भी बदतर है और नरेंद्र मोदी जी विदेश से जानवर मंगवा रहे हैं। @vivekyadav7080 यूजर ने लिखा कि चीता ही इस देश की सबसे बड़ी समस्या थी, लो जी वो भी हल हो गया। इसकी वजह से महंगाई गर्त में चली जाएगी, बेरोजगारी छू मंतर हो जाएगी। हम सब मगल ग्रह पर आराम से जीवन व्यतीत करेंगे।

@shyamsinghaap यूजर ने लिखा कि देश के युवा बेरोजगारी भुखमरी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं! साहब चीते छोड़ रहे हैं! @Ashokkshekhawat यूजर ने लिखा कि चीता, पीएम मीदी के जन्मदिन पर उन्हे नहीं देख रहा है बल्कि यहां-वहां देख रहा है। दरअसल वो रोजगार ढूंढ रहा है। @Shadab65272858 यूजर ने लिखा कि चीता आया, अब शायद 2 करोड़ नौकरी मिल ही जाए, युवाओं उत्सव की तैयारी करो।

बता दें कि पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि अंतराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है. ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।