भारत में महंगाई चिंता का सबब बनती जा रही है। लगातार बढ़ती महंगाई से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है। स्थिति यह है कि हर माह किसी न किसी खाद्य पदार्थ के दाम तेजी से बढ़ जाते हैं। पेट्रोल डीजल के बाद अब खाद्य पदार्थों में भी महंगाई बढ़ती जा रही है। दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना बयान वायरल हो रहा है। उनके इस बयान के जरिए सोशल मीडिया पर लोग पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए नजर आ रहे हैं। तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 में महंगाई को लेकर एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘गरीब के घर में चूल्हा नहीं जल रहा, बच्चे आँसू पीते हैं, रात रात रोते हैं’।

2013 में दिया गया उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पर लोग उन्हें ट्रोल कर रहे है। @r_o_h_a_n_r टि्वटर हैंडल से कमेंट करते हुए लिखा गया है कि वोटों के लिए नाटक नहीं , अगर दिल से महसूस करते मोदी जी तो आज गरीबों की ये स्थिति ऐसी नहीं होती। एक यूजर ने लिखा कि, ‘गैस, पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल, दूध के दाम बढ़ने से आम आदमी कितना परेशान हो सकता है उसकी भविष्यवाणी मोदी जी ने 2013 में ही कर दी थी। मोदीजी कितने दूर की सोचते थे … खैर छोड़ो। राष्ट्रपति जी का टैक्स वैसे भी कट रहा है’।

@SarjanSingh टि्वटर अकाउंट से प्रतिक्रिया देते हुए लिखा गया कि, ‘मोदी जी गैस सिलेंडर के दाम इतना बढ़ने के बाद गरीब के घर में चूल्हा जल रहा है या नहीं? तनी गरीब के घर में झांक के बताइये’। एक सोशल मीडिया हैंडल से कमेंट करते हुए लिखा गया कि अब तो मोदी जी सीधा गरमा गरम रोटियां भेज रहे हैं गरीबों के पास और पानी पीने के लिए सीधा गंगा जी भेजते हैं।

नीरज कसौधन नाम के एक यूजर अपनी बात लिखते हैं कि, ‘अच्छे दिन के आस में अब तो आंसू भी सूख गए है। और रोज रोज बढ़ती महंगाई, 25 रु की बढोत्तरी के बाद अब हाल चाल ले लो’। एक ट्विटर अकाउंट से पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए लिखा गया है कि, ‘अब गरीब बचा ही नहीं, जो गरीब थे वो लॉकडाउन मे पिसे, फिर इलाज के आभाव मे…अब मध्यमवर्गीय गरीबी रेखा के नीचे पहुंच रहा है।

एक यूजर ने नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए लिखा कि अब तो आंसू भी खुद ही पी जाते हो। @HvIndian ट्विटर अकाउंट से पीएम मोदी के इस बयान पर लिखा गया कि, ‘तब कम से कम आँसू तो थे। मन को हल्का करने के लिए सरकार को जमकर कोसा तो करते थे,अब तो महंगाई का दुखड़ा रोने पर भी पाबंदी है, सरकार का विरोध तो क्या वास्तविकता भी बता दो तो गाली पड़ने लगती है’।