राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पैतृक गांव पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘कहने को सब जानते हैं, कहने में कोई बुराई नहीं है. राष्ट्रपति देश का सबसे ज्यादा सलैरी लेने वाला कर्मचारी है, और वो टैक्स भी देता है। हम टैक्स भी देते हैं पौने तीन लाख रुपए महीना लेकिन कोई कहेगा कि आपको तो पांच लाख रुपए मिलता है, उसी की सब चर्चा करते हैं। उसमें से हर महीने पौने तीन लाख निकल जाता है, तो बचा कितना? और जो बचा उससे अधिक तो हमारे अधिकारी और दूसरों को मिलता है’।

उनके इस बयान पर लोग पीछे पड़ गए। @PMLUCKNOW टि्वटर हैंडल से इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा गया कि, ‘जिस देश के राष्ट्रपति को 5 लाख रु० तनख्वाह कम लगता है, उस देश में 5 किलो अनाज देकर गरीबों को खुशहाल बताया जा रहा है’। एक यूजर ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए लिखा, ‘एक अब्दुल कलाम थे जिन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए जितनी सैलरी ली सब दान कर दी और एक ये वाले है जिन्हें 5 लाख रू भी कम पड़ रहे है’।

@1ALOKJOSH मेरे अकाउंट से राष्ट्रपति के इस बयान पर तंज करते हुए लिखा गया कि, ‘राष्ट्रपति की तनख़्वाह का हिसाब भी अयोध्या के ट्रस्ट वालों के हाथ में ही पहुँच गया लगता है। वरना इतना टैक्स कौन ले जा रहा है, टैक्स_फ्री वेतन में से’? एनडीटीवी के पत्रकार संकेत उपाध्याय ने लिखा कि राष्ट्रपति जी की इन हैंड सैलरी वाक़ई बहुत कम है’।

@AnupamConnects टि्वटर हैंडल से लिखा जाता है कि राष्ट्रपति भी दुखी हैं अपनी सैलरी से! अब और कितने “अच्छे दिन” चाहिए? @VloggerVatsal अकाउंट से उनके इस बयान पर मजे लेते हुए लिखा गया कि, ‘हो सकता है राष्ट्रपति जी को जब राष्ट्रपति बनाया गया तो उनसे कहा गया होगा कि सैलरी 5 लाख है पर मिलेगी 2 लाख 25 हज़ार ही, इसलिए भावुक होकर अपने गांव में बोल दिए’।

@VIKASRAMA1 टि्वटर हैंडल से इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा गया कि, ‘आपकी सैलरी तो टैक्स फ्री है, अगर आपसे पौने तीन लाख रूपए टैक्स के रूप में लिए जा रहे है, तो ये सरकार आपको चूना लगा रही है,आप लेबर कोर्ट में जाकर शिकायत दर्ज करें और राष्ट्रपति होने का परिचय दें। हम सभी आपके साथ हैं’। वहीं एक यूजर ने लिखा कि जिस देश में राष्ट्रपति के सैलरी से टैक्स काट लिया जाए उस देश में संविधान की रक्षा कैसे होगी ?