‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’ और ‘तेरी गलियां’ जैसे कई मशहूर गीत लिखने वाले मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) सोशल मीडिया पर अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में है। दरअसल, उनके द्वारा तुलसीदास के दोहे पर कमेंट किया गया। जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स उनके लिखे दोहे का अर्थ बताकर उन्हें ट्रोल करने लगे।
मनोज मुंतशिर का ट्वीट – उनके द्वारा तुलसीदास के एक दोहे का जिक्र कर लिखा गया कि निम्नलिखित पद मेरा नहीं है, कहीं सुना तो सोचा आपको भी बता दूं। बहुत हुआ, ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया.. अब होना चाहिए, धमक चलत राम भक्त फाटत पैजनिया। मनोज मुंतशिर के इसी ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। हर कोई उनको इस दोहे का अर्थ बताते हुए ट्रोल करने लगा।
यूजर्स की प्रतिक्रियाएं : पूजा त्रिपाठी नाम की एक ट्विटर यूजर लिखती हैं – स्वयं गोस्वामी तुलसीदास के पद का जो माहौल तुमने उड़ाया है, यह घिनौना और विद्ररुप है। रामभक्त तुम कतई नहीं, कवि कहलाने के लायक भी नहीं। आलोक पुतुल ने कमेंट किया, ‘ कवि तुलसीदास जी की चौपाई का अर्थ है कि जब भगवान रामचंद्र ठुमक कर चलते हैं तो उनकी पैजनिया बजती है। कवि मनोज मुंतशिर के इस लिखे का अर्थ है कि जब राम भक्त धमक कर चलते हैं तो राम भक्तों का पैजामा फटता है।
राहुल पंडित लिखते हैं कि सॉरी, मनोज, पजामा मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग फाड़ते हैं, राम भक्त नहीं। ऐसे समय में जब राम के नाम पर चंद गुंडे दूसरे समुदाय की बहु-बेटियों के साथ बलात्कार करने की खुली धमकी दे रहे हैं, हमें ऐसी वाहियात क्रीएटिविटी से बचना चाहिए। कमल तिवारी नाम के एक टि्वटर हैंडल से कमेंट आया – ये वाहियात क्रीएटिविटी आपको एक अदद ट्रोल बनाकर रख देगी। आपको अंदाज़ा भी है कि आपने किसका अपमान किया है।
ट्रोल करने वालों को मुंतशिर ने दिया ऐसा जवाब : उन्होंने कुछ स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए एक ट्विटर यूजर को जवाब दिया कि ये तो घोर मूर्खता है। जो मैं लिखता हूँ उसे आप मेरा मानते नहीं, और जो मैं खुद कह रहा हूँ कि मैंने नहीं लिखा, उसे मेरे नाम से चिपका के अपना एजेंडा साध रहे हैं। कुछ अपने दम पे करो भाई, मेरे दम पे कब तक राजनीति चमकाओगे! ये स्क्रीन्शाट्स देखो, बरसों पहले के हैं, मैंने तो कल पोस्ट किया।