उत्तर प्रदेश में पत्थरबाजी करने वालों कार्रवाई हो रही है। पहचान में आए पत्थरबाजों के अवैध घर को प्रशासन तोड़ रहा है। इस कार्रवाई पर कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं और इसे गलत बता रहे हैं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विटर पर अखिलेश पर तंज कसते हुए पूछा है कि अगर कार्रवाई दंगाइयों और पत्थरबाजों पर होती है तो दर्द अखिलेश यादव को क्यों होता है?
केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विटर पर लिखा कि ‘पिटाई दंगाईयों, पत्थरबाजों की होती है, दर्द श्री अखिलेश यादव जी को होता है, कारण क्या है?’ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस ट्वीट पर अब लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। शनि मौर्या ने लिखा कि ‘सर हमको समझ में ही नहीं आ रहा कि आपकी नजर केवल अखिलेश जी पर ही क्यों है यार, आरक्षण खत्म हो रहा है, संविधान बदला जा रहा है, इस पर बोलिए कुछ।’
वसीमुद्दीन सिद्दीकी ने लिखा कि ‘अभी तक दोनों फ्रिंज एलिमेंट्स गिरफ्तार नहीं हुए हैं। जबकि उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रदर्शन करने वाले सैंकड़ों लोग जेल जा चुके हैं। दो लोग जान गंवा चुके हैं, दर्जनों मकानों को ज़मींदोज किया जा चुका है।’ कुमार विवेक नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आपकी राजनीति अखिलेश यादव जी तक सिमट गई इसलिए आपका कद ,पोर्टफोलियो भी उसी स्तर पर सिमट गया! आख़िर राजनीति के जानकार जानते ही हैं कि किसकी क्या स्थिति है?’
प्रदीप कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बधाई हो साहब जी, आपकी हिंदू-मुस्लिम की राजनीति खूब चमक रही है। पूरे देश में सिर्फ़ हिंदू-मुस्लिम दिखाई दे रहे हैं… इंसान तो कोई नजर नहीं आ रहा है।’ तृप्ति कुमार नाम की यूजर ने लिखा कि ‘उन्हें देश से नहीं बल्कि अपने वोट बैंक से मतलब है।’ नीरज नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बिलकुल दर्द होना चाहिए. मुस्लिम भी इंसान है। उतना ही इस देश के नागरिक हैं, जितने नरेंद्र मोदी और योगी हैं।’
सुशील यादव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘मौर्या जी भारत को पुलिस स्टेट बना देना चाहते हैं, जिसमें मानवाधिकार उल्लंघन का कोई हिसाब-किताब ना हो? आरोपियों को सजा देने का काम अदालत का है, इतना व्यवहारिक ज्ञान तो आपको होना चाहिए।’ अमर सक्सेना ने लिखा कि ‘संविधान और कानूनसंमत काम ना होने पर आपको भी दर्द होना चाहिए। यदि नहीं होता है तो यह बहुत चिंताजनक बात है, लोकतंत्र के लिय माननीय उप मुख्यमंत्री जी।’
बता दें कि अखिलेश यादव ने बुलडोजर कार्रवाई पर ट्वीट कर कहा था कि ‘ये कहां का इंसाफ़ है कि जिसकी वजह से देश में हालात बिगड़े और दुनिया भर में सख़्त प्रतिक्रिया हुई, वो सुरक्षा के घेरे में हैं और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को बिना वैधानिक जांच पड़ताल के बुलडोजर से सजा दी जा रही है। इसकी अनुमति न हमारी संस्कृति देती है, न धर्म, न विधान, न संविधान।’