बिहार के लखीसराय जिले के एक हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक पर जिला मजिस्ट्रेट का गुस्सा फूट पड़ा। प्रधानाध्यापक कुर्ता और पायजामा पहन कर स्कूल पहुंच थे जिसे देखकर डीएम भड़क गये और कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। डीएम ने कहा कि ‘नेता की तरह दिख रहे हो, तो चुनाव लड़ लो’। इसके साथ ही डीएम ने वेतन काटने का आदेश भी दे दिया है।
लखीसराय के डीएम संजय कुमार सिंह 6 जुलाई को बालगुदर गांव (सदर ब्लॉक के अंतर्गत) हाई स्कूल के औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। प्रधानाध्यापक को कुर्ते और पायजामा में देखकर उन्होंने कहा, “क्या आप एक शिक्षक की तरह दिख रहे हैं? मुझे लगा कि आप कोई स्थानीय जन प्रतिनिधि हैं। क्या आपको इस पोशाक में एक शिक्षक पसंद है?” इसके बाद डीएम एक अधिकारी से फोन पर बात करते हुए कहते हैं कि “आपका प्रधानाध्यापक मेरे सामने कुर्ता और पायजामा पहने बैठा है। न ही वह छात्रों को पढ़ाते नजर आ रहे हैं। उसका नाम निर्भय कुमार सिंह है।”
सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपनी कड़ी आपत्ति जताते हुए डीएम के खिलाफ ही कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि “इस तथाकथित डीएम को शिक्षक को अपमानित करने के लिए माफी मांगनी चाहिए और उसे तुरंत नौकरी से निलंबित कर देना चाहिए।”
पत्रकार ओम थानवी ने लिखा कि “क्या यह अधिकारी मूढ़ है? एक शिक्षक के कुर्ता-पायजामा पहनने पर ऐतराज? वह भी इतने अपमानजनक तेवर में? गाँव-क़स्बों में ‘मास्साब’ की तो यही वेशभूषा होती थी। आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ नामवर सिंह, डॉ दयाकृष्ण जैसे नामी शिक्षक शहरों में धोती-कुर्ते में ही पढ़ाते थे।” फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने लिखा कि “भारत में कुर्ता पायजामा पहनना कब से अपराध हो गया है ? कुर्सी का इतना रौब गलत है। प्रधानाचार्य के साथ सरेआम बदतमीजी करने वाले DM लखीसराय संजय कुमार सिंह के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।”
आरिश छाबड़ा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘एक शिक्षक के बेटे के रूप में, मुझे इस अभिमानी अधिकारी द्वारा इस शिक्षक का अपमान करते हुए देखकर दुख होता है। एक परीक्षा ही पास किया है ना, यार, दुनिया तो नहीं खड़ी ली। इस कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। शिक्षक का ऐसा अपमान देखना कठिन है।’ निधि त्रिपाठी ने लिखा कि ‘भारत में अफसरशाही आज भी औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर नही निकल पाई है। इन कलेक्टर बाबू के अनुसार कुर्ता पायजामा केवल नेताओं की पोशाक है और शिक्षक के लिए उसे पहनना एक दंडनीय अपराध है।’
बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि “बिहार में शिक्षकों के लिए एक ड्रेस कोड है। धोती-कुर्ता और कुर्ता-पायजामा पारंपरिक भारतीय कपड़े हैं और शिक्षक के वेतन को रोकने का आधार नहीं हो सकते। लेकिन अगर कोई शिक्षक अक्षम है, तो उसे कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।” वहीं जब बिहार के शिक्षा मंत्री और डीएम से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क ही नहीं हो पाया।