IITian Baba Story: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगे महाकुंभ में देश विदेश से साधु-संत शामिल होने के लिए आए हैं। कई साधु-संत की कहानी तो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। उन्हीं में से एक हैं IITian बाबा के नाम से इंटरनेट पर चर्चा का विषय बने हुए अभय सिंह। IIT Bombay से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने और विदेश में अच्छी नौकरी करने वाले अभय के साधु बनने के सफर ने लोगों को चौंका दिया है।
अभय ने सब कुछ क्यों त्याग दिया?
इंटरनेट यूजर्स ये जानने को काफी उत्सुक है कि आखिर जिसे आम लोग ‘अच्छी जिंदगी’ कहते हैं उसे छोड़कर उन्होंने वैराग्य का रास्ता क्यों चुन लिया। सोशल मीडिया पर विभिन्न मीडिया आउटलेट से उनकी बातचीत के वीडियो में ये बात सामने आई है कि उन्होंने आखिर क्यों इतने अच्छे कॉलेज से पढ़ाई करने, कनाडा में नौकरी पाने के बाद सब कुछ त्याग दिया।
हैदराबाद में जन्मे अभय ने CNN News18 को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें 3 लाख प्रति माह (लगभग ₹36 लाख प्रति वर्ष) का वेतन मिलता था। फिर भी, वो डिप्रेशन से जूझते रहे और उन्हें अपने जीवन में कुछ कमी महसूस होती रही।
उन्होंने बताया, “रुपये के हिसाब से मैं कनाडा में 3 लाख प्रति माह कमा रहा था। हालांकि, वहां खर्चे भी आपके वेतन के अनुपात में हैं।” उन्होंने कहा, “आपके खर्चे उसी हिसाब से बढ़ते हैं। यहां एक सेब 50 का होगा। वहां ये 200 रुपये में बिकेगा।”
इस अनसर्टेनिटी ने अभय को जीवन और मन की भूमिका का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया, जिसके बाद उन्होंने आध्यात्मिकता को अपनाया। इसलिए उन्होंने भौतिक सुविधाओं के साथ-साथ पेशेवर करियर को भी त्याग दिया और ब्रह्मांड के बारे में सत्य की खोज में निकल पड़े।
हाल ही में हेडलाइंस इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में अभय ने अपने पर्सनल लाइफ और अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात की, जिसने उनके जीवन को आकार दिया। उन्होंने कहा कि इंडिया में उनकी एक गर्लफ्रेंड थी, जिसके साथ उन्होंने चार साल तक डेटिंग की।
इस वजह से शादी को लेकर गहरा डर पैदा हुआ
हालांकि, उनके माता-पिता के बीच लगातार वैवाहिक कलह ने उनमें शादी को लेकर गहरा डर पैदा कर दिया। अभय ने बताया, “शादी से मुझे डर लगता था। मेरे घर पर माता-पिता लड़ाई करते थे। जब तुमने उदाहरण ही खराब देखा हो, तुमने सही उदाहरण देखा ही नहीं, रिश्तों को कैसे निभाना है, तो उसकी वजह से… गर्लफ्रेंड तो थी चार साल तक, पर वो वहीं पे अटक गया। मुझे समझ ही नहीं आया कि आगे क्या करूं।”
अभय का संन्यास की ओर कदम सत्य की खोज करने और एक उच्च उद्देश्य खोजने की इच्छा के कारण था। जब उनसे तपस्वी बनने से पहले के उनके पिछले जीवन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से जवाब दिया, “मैंने वही किया जो कोई भी लड़का करता है। मैंने शराब पी, सिगरेट और बीड़ी पी। लेकिन मेरे अंदर सत्य की खोज करने की ललक थी।”
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सत्य की इस खोज ने उन्हें सांसारिक सुखों का त्याग करने और खुद को पूरी तरह से आध्यात्मिक मार्ग पर समर्पित करने के लिए प्रेरित किया। तपस्वी के जीवन को अपनाते हुए, अभय ने आईआईटीयन बाबा का निकनेम अपनाया, जो उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और उनकी नई आध्यात्मिक पहचान दोनों को दर्शाता है।
तपस्वी के रूप में अभय का जीवन कैसा है?
तपस्वी के रूप में, अभय ने खुद को अपने पिछले जीवन से पूरी तरह से अलग कर लिया है। इसमें उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। इस सवाल पर कि क्या उन्हें कभी अपने परिवार की याद आती है, वे कहते हैं, “नहीं। अब तो सिर्फ़ महादेव हैं।” उन्होंने भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते करते हुए कहा।