Bitra Island In Lakshadweep: केंद्र सरकार सुरक्षा के लिहाज से एक द्वीप को अपने कंट्रोल में लेने जा रही है। इस द्वीप का नाम ‘बिट्रा द्वीप’ है। यह द्वीप वर्तमान में लक्षद्वीप में बसे 10 द्वीपों का हिस्सा है। इस द्वीप का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। ऐसे में यहां रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जा सकता है।

बिट्रा द्वीप कहां है?

‘बिट्रा’ लक्षद्वीप के उत्तरी क्षेत्र में स्थित सबसे छोटा आबादी वाला द्वीप है । सरकारी वेबसाइट के अनुसार, इसकी लंबाई 0.57 किमी और चौड़ाई 0.28 किमी है। यह केरल के कोच्चि से लगभग 483 किमी दूर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिट्रा द्वीप की जनसंख्या 271 है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यहां विस्थापित नागरिकों को लक्षद्वीप के अन्य इलाकों में बसाया जाएगा। वहीं, लक्षद्वीप सांसद हमदुल्ला सईद ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है।

नोटिफिकेशन जारी

सांसद हमदुल्ला सईद ने बिट्रा के स्थानीय निवासियों को अपना पूरा समर्थन देने का भरोसा दिया है। साथ ही कहा कि वो सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए वह राजनीतिक और कानूनी रास्ते तलाशेंगे। हाल ही में जारी सरकारी अधिसूचना में राजस्व विभाग में बिट्रा द्वीप के सम्पूर्ण भू-क्षेत्र को अपने अधीन लेने का प्रस्ताव दिया गया है। इसका उद्देश्य इसे केंद्र की प्रासंगिक रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों को हस्तांक्षरित करना है।

पिछले सप्ताह जारी अधिसूचना में बताया गया है कि यह कदम द्वीप की रणनीतिक स्थिति, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी प्रासंगिकता और वहां की नागरिक आबादी से जुड़ी प्रशासनिक व रसद संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। क्षेत्रीय प्रशासन 2013 के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना अधिनियम के तहत उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए द्वीप का अधिग्रहण करेगा। इस बीच, लक्षद्वीप के सांसद हमदुल्ला सईद ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा बिट्रा द्वीप को अधिग्रहित करने के कदम का कड़ा विरोध जताया है।

उन्होंने कहा कि उस फैसले के पीछे असली मंशा स्थानीय आबादी को वहां से विस्थापित करना है। सांसद के ऑफिस से जारी एक बयान में सांसद हमदुल्ला सईद ने कहा कि बिट्रा लक्षद्वीप का सबसे छोटा आबादी वाला द्वीप है और वह इसे रक्षा जरूरतों के बहाने अधिग्रहित करने के प्रशासन की कोशिश का जोरदार विरोध करेंगे।

हमदुल्ला सईद ने इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है। सईद ने बताया कि रक्षा उद्देश्यों के लिए आवश्यक भूमि सरकार द्वारा द्वीपों पर पहले ही अधिग्रहित कर ली गई है। उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी विकल्प पर विचार किए बिना, दशकों से स्थायी आबादी वाले बिट्रा द्वीप को निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

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सांसद ने प्रशासन की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई बिना स्थानीय निवासियों से किसी भी प्रकार की बातचीत के की जा रही है। खासकर उस वक्त जब द्वीपों में स्थानीय पंचायतें भी सक्रिय नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की एकतरफा कार्रवाई लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती है और नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है। सांसद ने अपने बयान में भरोसा दिया कि वह बिट्रा द्वीप के लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे और इस कदम का विरोध करने के लिए सभी राजनीतिक और कानूनी रास्तों की तलाश करेंगे।

350 के करीब लोग रहते हैं बिट्रा द्वीप पर

बता दें, इस अधिग्रहण से बिट्रा के 350 निवासी प्रभावित होंगे, जो मछली पकड़ने और नारियल की खेती पर निर्भर हैं, तथा इससे द्वीपसमूह के मछुआरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 45 वर्ग किलोमीटर के महत्वपूर्ण लैगून क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा।

निवासियों ने इस कदम को अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे द्वीप के समृद्ध समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी आजीविका को नुकसान पहुंचेगा। बिट्रा के एक निवासी ने कहा कि अगर लोगों को विस्थापित करने की कोई कोशिश की जाती है, तो हम कानूनी तौर पर इसका विरोध करेंगे। यहां बच्चों समेत लगभग 350 लोग रहते हैं, जो मछली पकड़ने और नारियल के बागानों पर निर्भर हैं। यही जीवन जीने का तरीका है। लैगून मछली, टूना और ग्रुपर की प्रचुरता के कारण दूसरे द्वीपों से भी मछुआरे यहां आते हैं।

एक अन्य निवासी ने कहा कि हम आगे बढ़ने के तरीके पर चर्चा कर रहे हैं। हम जहां रहते हैं वह निजी ज़मीन है। अगर हम इसे सुलझाने में कामयाब नहीं होते हैं, तो हम इसे पंडारम मामले की तरह अदालत में चुनौती देंगे। वहीं, चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर ‘मेगा डैम’ प्रोजेक्ट शुरू किया है। पढ़ें…पूरी खबर।