Google Trends: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी की जमकर आलोचना की और कहा कि वे इतिहास को लेकर असहज हैं। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले के बारे में भी बात की। विदेश मंत्री ने कहा, ‘सिंधु जल संधि कई मायनों में एक बहुत ही अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इस घटना के इतिहास को याद करने के लिए। कल, मैंने सुना कि लोग, कुछ लोग, इतिहास को लेकर असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।’

विदेश मंत्री ने संधि के संबंध में 1960 में संसद में दिए गए जवाहरलाल नेहरू के बयान को लेकर उन पर निशाना साधा एस जयशंकर ने कहा, ‘तत्कालीन प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि हम यह संधि (सिंधु जल संधि) इसलिए करें क्योंकि भारत सरकार को पाकिस्तानी पंजाब के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के किसानों के हितों के बारे में एक शब्द भी नहीं। अब वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि लोग कह रहे हैं, हमें लगा कि इन परिस्थितियों में यही सही समझौता है। हमने शांति खरीदी है और यह दोनों देशों के लिए अच्छा है। 1960 में उन्होंने कहा था कि हमने शांति खरीदी है। हमने शांति नहीं खरीदी, हमने तुष्टिकरण खरीदा है क्योंकि एक साल के अंदर ही उसी प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया कि पाकिस्तान के साथ शांति नहीं है।’

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पीएम मोदी ने नेहरू की गलतियों को सुधारा – एस जयशंकर

एस जयशंकर ने संसद में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि और आर्टिकल 370 से निपटने के मामले में पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलतियों को सुधार दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमें 60 साल तक यही कहा गया कि कुछ नहीं किया जा सकता। पंडित नेहरू की गलती को सुधारा नहीं जा सकता। नरेंद्र मोदी सरकार ने दिखाया कि इसे सुधारा जा सकता है। अनुच्छेद 370 को सुधारा गया और सिंधु जल संधि को भी सुधारा जा रहा है। सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता। हमने चेतावनी दी है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे।’

भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित की

बता दें कि पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। याद दिलाना जरूरी होगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इससे पहले दोनों देशों के बीच नौ साल तक बातचीत चली थी। सिंधु जल संधि के मामले में भारत ने अपनाया आक्रामक रुख