Google Trends: नेपाल में हो रही बारिश से बिहार में बाढ़ से अब हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं। बिहार की नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। गंडक और कोसी बैराज से 10.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद बिहार के 13 जिले हाई अलर्ट पर हैं। तटबंधों पर दबाव बढ़ा है। इसकी वजह से कई जगहों पर तटबंध टूट भी गए हैं। बाढ़ का पानी गांवों में तेजी से फैल रहा है। सूबे की नदियां उफना गई हैं और इससे काफी लोग प्रभावित हो गए हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, बेतिया, मोतिहारी, गोपालगंज, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढी, शिवहर, समस्तीपुर, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया, भागलपुर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि छोटी नदियों के जलस्तर में कुछ कमी आने के बावजूद भी बाढ़ से 16 लाख से ज्यादा लोगों पर असर पड़ने की संभावनाएं हैं।
बिहार में आई बाढ़ पर यूजर्स ने दी प्रतिक्रिया
बिहार में आई बाढ़ सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इस पर यूजर्स ने प्रतिक्रियाएं भी दी हैं। एक यूजर ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि, “ये बिहार है, जहाँ हर साल बाढ़ लोगों की ज़िंदगी, सपनों और घरों को बहा ले जाती है, लेकिन सरकारें अब भी बेबस हैं। सोचिए, हर साल सब कुछ खोकर भी नए सिरे से जीने की हिम्मत कैसे जुटाते हैं ये लोग।”
वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, “11 साल पहले मैंने एक डॉक्यूमेंट्री देखी थी जिसमें दिखाया गया था कि बिहार में बाढ़ की वजह इतनी ज़्यादा क्यों है। मुझे नहीं पता कि इतने सालों बाद भी नेता और ब्यूरोक्रेट्स इसका समाधान क्यों नहीं कर पा रहे हैं। अगर कोई डॉक्यूमेंट्री बनाने वाला कुछ कारण बता सकता है तो सरकार भी बता सकती है।”
कई शहरों में हाहाकार
बिहार में पिछले 40 सालों से अब तक लगातार हर साल बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य का 68,800 वर्ग किलोमीटर हर साल बाढ़ में डूब जाता है। बिहार का मौसम भी अजब ही रंग दिखा रहा है। कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं। पटना में भी परेशानी है। बता दें कि पूर्वी और मध्य नेपाल के बड़े हिस्से जलमग्न है। बाढ़ प्रभावित करीब 5000 लोगों को सेना, पुलिस और सुरक्षा बलों ने बचाया है। नेपाल के पहाड़ी इलाकों में पहाड़ों के दरकने का सिलसिला भी जारी है।