कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे बच्चों पर सफलता का कितना दबाव होता है, ये आए दिन छात्रों की आत्महत्या की खबरें देखने के बाद पता चलता है। मां-बाप की उम्मीदों पर खरा उतरने के दबाव सफल होने के दबाव के अलावा छात्रों पर कोचिंग संस्थानों का कितना तगड़ा प्रेशर होता है, ये हाल ही में एक कोचिंग संस्थान के बेहूदा और अमानवीय विज्ञापन को देखने के बाद पता चलता है।
दरअसल मामला, अलग अलग विषयों की कोचिंग देने वाले संस्थान FIITJEE का है जिसने रविवार को अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया जिसको लेकर संस्थान सोशल मीडिया पर यूजर्स के निशाने पर आ चुका है और भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इस विज्ञापन में कोचिंग संस्थान FIITJEE ने अपने टॉपर्स स्टूडेंट्स के अलावा एक छात्रा की फोटो नाम और अन्य डिटेल के साथ छापी और उसके कैप्शन में बताया गया कि संस्थान छोड़ने और दूसरे संस्थान को ज्वाइन करने के बाद छात्रा के प्रदर्शन में गिरावट आई थी।
FIITJEE ने इस विज्ञापन को एक समाचार पत्र के फ्रंट पेज पर दिया है, जिसमें उस छात्रा के बारे में कहा गया है कि पूर्व छात्रा जेईई-मेन्स 2024 में 100 एनटीए स्कोर हासिल कर सकती थी, न कि 99.99 अगर वह उनके साथ रहती और कोटा से आत्महत्याओं के इतिहास वाले “ईवीआईएल इंस्टीट्यूट” में शिफ्ट नहीं होती।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कोचिंग संस्थान FIITJEE पर यूजर्स की तरफ से लगातार तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं और यूजर्स विज्ञापनों के लिए कानून बनाने के साथ ही संस्थान पर कानूनी कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं।
इस मामले को सबसे पहले ट्विटर पर उठाने वाली कात्यानी संजय भाटिया हैं, जो इंडियन रेवेन्यू सर्विस (इनकम टैक्स) में डिप्टी कमिश्नर हैं। कात्यायनी संजय भाटिया ने एक्स पर कोचिंग संस्थान FIITJEE के उस विज्ञापन की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की जिसमें उन्होंने लिखा, “विज्ञापनों में एक नया निचला स्तर @fiitjee। आप एक बच्चे की तस्वीर पोस्ट करके कह रहे हैं कि उसका प्रदर्शन खराब रहा क्योंकि उसने आपका संस्थान छोड़ दिया! मैंने तस्वीर धुंधली कर दी है क्योंकि मैं एक लड़की को छोटा करके अपनी श्रेष्ठता का दावा करने के इस घृणित तरीके पर विश्वास नहीं करती हूं”
इस मामले में कात्यायनी संजय भाटिया ने लिखा, “हम माता-पिता द्वारा आईआईटी जेईई के लिए बच्चों पर दबाव डालने के बारे में बात करते हैं, लेकिन विज्ञापन के इस तरीके के बारे में क्या जहां आप एक छात्र को प्रदर्शन न करने पर शर्मिंदा करते हैं? और यह दावा करके श्रेष्ठता का दावा कर रही है कि यदि वह आपके संस्थान में होती तो अच्छा प्रदर्शन करती? शर्मनाक।”
कात्यायनी संजय भाटिया ने ट्वीट्स की एक सीरीज में, कोचिंग संस्थानों के बीच चल रही क्रूर प्रतिस्पर्धा की आलोचना करते हुए फिटजी के विज्ञापन को “शर्मनाक” बताया क्योंकि इसमें “आत्महत्याओं के इतिहास वाले संस्थान के बारे में बात करके श्रेष्ठता” का दावा करने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि जब कोटा में आत्महत्याएं एक ऐसा मुद्दा है जो “सभी को चिंतित करता है” तो ऐसे शब्दों का उपयोग करना फिटजी के लिए एक “सस्ती” रणनीति थी।
आईआरएस अधिकारी ने इस तरह के एडवरटाइजिंग मिसकंडक्ट पर ध्यान देने के लिए शिक्षा मंत्रालय, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी टैग किया। “ऐसे विज्ञापन कदाचारों की जांच की जानी चाहिए – किसी भी संस्थान को अपनी श्रेष्ठता का दावा करने के लिए छात्रों को शर्मिंदा करने का अधिकार नहीं है।”
आए दिन छात्र-छात्राओं की आत्महत्या की खबरें आने के पीछे मां-बाप की उम्मीदें और पढ़ाई के दबाव के अलावा ऐसे संस्थानों का छात्रों के प्रति अमानवीय व्यवहार भी एक बड़ा कारण होता है, जिनकी प्रताड़ना से त्रस्त होकर देश के होनहार बच्चे अपने जीवन को खत्म करने जैसा कदम उठा लेते हैं।
फिलहाल, इस मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मगर सोशल मीडिया पर चल रहे विरोध और संस्थान के अमानवीय कृत्य को देखते हुए उम्मीद की जा रही है, इस मामले में जल्द ही कोई बड़ी कार्रवाई देखने को मिलेगी।
