मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के एक किसान नेता ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के खिलाफ अदालत में जाने की बात कही है। उनका दावा है कि मौसम संबंधी गलत भविष्यवाणियों के चलते हाल के दिनों में फसलों को नुकसान हुआ है। उधर, मोदी सरकार ने आज घोषणा की कि पाम तेल के कच्चे माल का दाम केंद्र सरकार तय करेगी। इसके साथ ये भी निर्णय किया गया है कि अगर बाज़ार में उतार चढ़ाव आया और किसान की फसल का मूल्य कम हुआ तो जो अंतर की राशि है वो केंद्र सरकार DBT के माध्यम से किसानों को भुगतान करेगी।

उज्जैन के किसान नेता बैस ने कहा कि कई बार किसान आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार बुवाई के लिए खुद को तैयार करते हैं, लेकिन गलत पूर्वानुमानों के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ और बोई गई फसलों को हाल की बारिश से नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसे में किसान आईएमडी के पूर्वानुमान पर भरोसा नहीं कर सकते। उनका कहना है कि मौसम विभाग के गलत पूर्वानुमान के कारण प्रदेश में किसानों को हुए नुकसान का वह डाटा एकत्र कर रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों के गलत पूर्वानुमानों का डाटा भी जुटाया जा रहा है।

बैस ने कहा कि अमेरिका और अन्य देशों में मौसम का पूर्वानुमान सटीक होता है और लोग उसके अनुसार खुद को तैयार कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत में सरकार भारी पैसा खर्च कर रही है लेकिन मौसम के पूर्वानुमान गलत निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़े जमा करने के बाद हम अगले माह एक बैठक में इस मामले में अदालत में जाने के बारे में फैसला करेंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खेती के सामग्री में जो पहले राशि दी जाती थी उस राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोग इंडस्ट्री लगा सके इसके लिए इंडस्ट्री को भी 5 करोड़ रु. की सहायता देने का निर्णय लिया गया है।

पहले पाम तेल की रोपण सामग्री के लिए अनुदान 12000 रु. प्रति हेक्टेयर दिया जाता था अब इसे बढ़ाकर 29000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। आज पाम तेल की खेती लगभग साढ़े 3 लाख हेक्टेयर में हो रही है ये आने वाले दिनों में 10 लाख हेक्टेयर तक हो जाएगी।