दृष्टि आईएएस कोचिंग इंस्टीट्यूट (Drishti IAS Coaching Institute) के संस्थापक डॉ विकास दिव्यकीर्ति (Dr. Vikas Divyakirti) इन दिनों फिर से सोशल मीडिया की चर्चा में आ गए हैं। क्लासरूम में आरक्षण को लेकर दिया गया उनका एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति आरक्षण पर कह रहे हैं कि वंचित वर्ग के लिए जरा सा प्रयास हुआ तो कुछ लोगों के पेट में ज्वालामुखी फटने लगे। सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनकी बातों का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल किया है।

विकास दिव्यकीर्ति ने आरक्षण पर कही यह बात

विकास दिव्यकीर्ति ने आरक्षण को लेकर कहा,”कुछ लोग कहते हैं कि 70 सालों से आरक्षण दे रहे हो, कब तक दोगे? इस देश में SC, ST, OBC और महिला को मिला लें तो जनसख्या 90 प्रतिशत बनती है, 90 प्रतिशत अबादी को पिछले 70 सालों से हम आरक्षण दे रहे हैं और इस बात से बहुत लोगों के पेट में खलबली मची हुई है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस विषय पर दलित विमर्श का कहना है कि 3000 सालों तक पढाई-लिखाई पर केवल ब्राह्मणों का हक़ था। ब्राह्मणों की आबादी केवल 10 प्रतिशत ही थी, 10 प्रतिशत समुदाय ने 100 प्रतिशत सीटें घेर के रखी हुई थी। अब 70 सालों से परेशान हो रहे हैं।

दृष्टि आईएएस के फॉउंडर ने वैश्य समाज का भी किया जिक्र

दृष्टि आईएएस के फॉउंडर (Founder of Drishti IAS) ने कहा कि बिजनेस की दुनिया में वैश्य समाज का लगभग 100 प्रतिशत आरक्षण रहा है, इस पर कभी किसी ने बोला। इसके साथ उन्होंने कहा,”3000 वर्ष तक रहे आरक्षण के समतलीकरण के लिए वंचित वर्ग के पक्ष में जरा सा प्रयास किया गया तो कुछ लोगों के पेट में ज्वालामुखी फटने लगे। इतनी क्या बेचैनी है भाई? केवल हवा में बात क्यों हो, इसके पीछे तर्क भी तो होना चाहिए।” इस दौरान विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि अगर उस समय पढ़ाई-लिखाई का महत्व नहीं था तो वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मणों को सबसे ऊपर क्यों रखा गया? इस बारे में भी विचार करने की जरुरत है।

लोगों के रिएक्शन

@chetanaroy1 नाम के एक ट्विटर हैंडल से इस वीडियो को शेयर कर लिखा गया,”जरूर सुनिए।” @GajananRj नाम के एक यूजर ने कमेंट किया- विकास सर को यह भी बताना चाहिए था कि भारत नें चातुरवनिय व्यवस्था अंग्रेज़ों की देन है। भारत में पहले आश्रम विकसित थे, जहां हर कोई शिक्षा ग्रहण करता था। श्रीकृष्ण और सुदामा एक साथ पढ़े थे। आयुष नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया,” इनके अनुसार ब्राह्मणवाद ने प्राचीन समय मे पूरी शिक्षा व्यवस्था पर कब्जा जमाया हुआ था, इसी कारण आरक्षण पद्धति से इनको सबसे ज्यादा तकलीफ है। ऐसे लोग हिन्दू समाज को तोड़ने के लिए पर्याप्त हैं।” रविंद्र नाम के एक यूजर ने लिखा कि जो आरक्षण पर सवाल उठाते हैं, उन्हें ये सुनना चाहिए।