कुछ कहानियां हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक के बेलगावी जिले का है। यहीं निपानी तालुक के यमगरनी गांव के एक डॉगी की सच्ची घटना सबको हैरान कर रही है। मालिक और अनमोल जानवर के बीच का यह प्रेम अब सोशल मीडिया पर भी सुर्खियां बटोर रहा है।

इस गांव के कुछ लोग एक डॉगी को फूल-माला पहनाकर उसका तिलक कर रहे थे। उसके स्वागत में पूरा गांव उमड़ पड़ा। इस आर्टिकल में हम आपको यह पूरी कहानी बता रहे हैं।

पूरे गांव के लोग फूल-माला लेकर एक काले रंग के कुत्ते के स्वागत के लिए उमड़ पड़े थे। लोगों ने कुत्ते को फूल-माला पहनाया और फिर पूरे गांव में घुमाया। इतना ही नहीं गांव के लोगों ने उसके स्वागत में पूरे गांव में दावत का आयोजन किया। गांव वालों के लिए खोए हुए कुत्ते का वापस लौटना एक चमत्कार है। गांव के लोग प्यार से इस डॉगी को महाराज कहते हैं।

दरअसल, दक्षिण महाराष्ट्र के तीर्थनगर पंढरपुर में भीड़ में खो गया था, लेकिन अपने दम पर लगभग 250 किमी की यात्रा करके उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी के गांव में वापस आ गया। जून के अंतिम सप्ताह में महाराज अपने मालिक के साथ सालाना ‘वारी पदयात्रा’ यात्रा पर गए था। वह अपने मालिक कमलेश कुंभार के पीछे-पीछे चलता रहा। कुंभार ने बताया कि वे हर साल आषाढ़ एकादशी और कार्तिकी एकादशी पर पंढरपुर आते हैं। उन्होंने कहा, इस बार महाराज उनके साथ ही था।

कुम्हार ने बताया कि महाराज को हमेशा से भजन सुनना पसंद है। एक बार वह मेरे साथ महाबलेश्वर के पास ज्योतिबा मंदिर की यात्रा पर पैदल गया था। लगभग 250 किमी तक वह मेरे साथ भजन सुनते हुए पैदल गया। वह समूह के साथ भजन गाते सुनते हुए चल रहा था।

मालिक ने बहुत खोजा मगर महाराज कहीं नहीं मिला

कुंभार ने कहा आगे बताया कि विठोबा मंदिर में दर्शन के बाद उन्होंने देखा कि वह गायब था। उन्होंने बताया कि जब वह उसे ढूंढने निकले तो वहां लोगों ने उन्हें बताया कि कुत्ता दूसरे समूह के साथ चला गया है। “मैंने अब भी उसे हर जगह खोजा और वह मुझे नहीं मिला। मैंने सोचा कि शायद लोग सही थे कि वह किसी और के साथ चला गया। कुम्हार ने आगे कहा, “मैं 14 जुलाई को अपने घर लौट आया”।

कुंभार ने आगे कहा “अगले ही दिन महाराज मेरे घर के सामने खड़ा था। वह अपनी पूंछ ऐसे हिला रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। वह अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया हुआ और बिल्कुल ठीक दिख रहा था।” कुंभार ने बताया कि महाराज के मिलने की खुशी में उन्होंने और गांव के लोगों ने मिलकर दावत की और जश्न मनाया। ”

गांव के लोगों का कहना है कि यह एक चमत्कार है कि महाराज ने अपने गांव का रास्ता खोज लिया और इतनी दूर अकेले चलकर गांव पहुंच गया। वह घर से 250 किमी से अधिक दूरी पर था। हमें विश्वास है कि भगवान पांडुरंगा ने ही महाराज को रास्ता दिखाया।”