Delhi Man Viral Post About Last Hug: दिल्ली के एडवर्टीजमेंट प्रोफेशनल प्रताप सुथान द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए एक इमोशनल पोस्ट ने लोगों के दिलों को छू लिया है। इस पोस्ट में उन्होंने अपनी अब इस दुनिया में नहीं रही पत्नी के साथ अपने लास्ट हग को याद किया है। लिंक्डइन पर शेयर किए गए उनके इमोशनल व्याख्या ने एक बड़ी ऑडियंस के दिलों को छुआ है। प्रताप की पोस्ट इस बात का याद दिलाती है कि भाग-दौड़ वाली जिंदगी में अपनो के साथ समय बिताना कितना जरूरी है।
‘कोई उस हग के करीब नहीं आ सकता’
पोस्ट में, प्रताप ने याद किया कि वह एक नॉर्मल मॉर्निंग की तरह लग रहा था जब उन्होंने अपनी पत्नी को अस्पताल जाने से पहले गले लगाया था, वो इस बात से अनजान कि यह उनका आखिरी गुडबाय होगा। उन्होंने लिखा, “अच्छी तरह से गले लगाओ।”
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प्रताप ने कहा, “मेरे लिए, यह उम्मीदों से भरा एक हग था। लेकिन उसके लिए, अब मुझे एहसास हुआ, यह अलग था – किसी ऐसे व्यक्ति का शांत, आखिरी हग जो हमेशा के लिए अलविदा कह रहा हो। यह एक ऐसा हग है जिसे मैं अपने जीवनभर रखूंगा। कोई भी और हग कभी भी उसके करीब नहीं आ सकता।”
इस दिल को छू लेने वाली पोस्ट के जरिए, प्रताप ने फिजिकल टच की अव्यक्त भाषा का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि एक हग, उन जगहों पर बहुत कुछ कह सकता है जहां शब्द कम पड़ जाते हैं। चाहे वो वृद्ध माता-पिता और उनके बच्चों के बीच, सैनिकों और माताओं के बीच, प्रेमियों या अजनबियों के बीच, उन्होंने एक हग को सारी भावनाओं को बिना कुछ कहे व्यक्त करने में सक्षम बताया।
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उन्होंने समझाया, “एक हग वेलकम कर सकता है। यह जुदा भी कर सकता है। यह प्यार को बनाए रख सकता है या अस्तित्व को बनाए रख सकता है। लेकिन यह कभी भी सिर्फ़ एक हग नहीं होता।” ऐसे समय में जब डिजिटल चैटिंग अक्सर फिजीकल प्रेजेंस की जगह ले लेती है, उन्होंने एक स्ट्रॉन्ग मैसेज दिया: “अगर आपको आज किसी को गले लगाने का मौका मिले, तो ऐसा करें जैसे आप असलियत में इसका मतलब समझते हों।”
यूजर्स ने पोस्ट पर कैसे किया रिएक्ट?
पोस्ट को खत्म करते हुए, उन्होंने लिखा, “क्योंकि कभी-कभी, हमें पूरा रखने वाली एकमात्र चीज़ उस व्यक्ति की याद होती है जिसने हमें एक बार गले लगाया था, ठीक उससे पहले जब वे हमें अलविदा कह गए। मैं इसकी गारंटी दे सकता हूं।”
प्रताप की पोस्ट पर यूजर्स ने स्पष्ट रूप से भावुक होकर प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने कहा, “बहुत बढ़िया कहा..मैं इससे रिलेट कर सकता हूं…जब मैंने अपने छोटे भाई को खो दिया… 2 साल तक अस्पताल जाना, उसे इमरजेंसी स्थिति में भर्ती कराना, उन दिनों ICU दूसरा घर बन गया।”