बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने गाय और लिबरल्स को लेकर बीते बुधवार को कहा था कि यह दुख की बात है कि देश में गाय के नाम पर भीड़ के द्वारा लोगों की हत्या की जा रही है। देश में गाय तस्करी और बीफ खाने के संदेह में कई लोगों की हत्या कर दी गई। ऐसे कई मामले देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आए हैं। हम सब जानवरों को बचाना चाहते हैं लेकिन जब मॉब लिंचिंग होती है तो बुरा लगता है। गैरकानूनी ढ़ंग से किसी को भी सजा देना गलत है। जब मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होती है तो आप बेवकूफ लगते हैं। आध्यात्मिक गुरु जग्गी सद्गुरु वासुदेव के साथ बात करते हुए कंगना ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि, “उनकी आगामी फिल्म मणिकर्णिका से भी एक सीन को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्हें लगा कि कहीं यह गौरक्षकों की तरह न दिखे। उस सीन में एक गाय के बच्चे को बचाना था।”

कंगना ने कहा कि हम देश में चल रहे इस विचारधारा का समर्थन नहीं करते। गाय को बचाने के नाम पर होने होने वाली मॉब लिंचिंग पर आपको दुख होता है। ये सोंचने पर मजबूर हैं कि आखिर क्या है जो गलत है? इस दौरान उन्होंने लिबरल पर तंज करते हुए कहा कि, “लिबरल कौन है? ये वो लोग हैँ जो आपको तब तक अपने साथ नहीं आने देते जब तक की आप भी उनसे नफरत नहीं करते जिसने वो करते हैं।”

कंगना रनौत के इस टिप्पणी पर एक नई बहस शुरू हो गई है। किसी ने उनके बयान का समर्थन किया है तो किसी ने विरोध। ध्रुव राठी ने लिखा कि, मैंने नदियों के लिए रैली में जगगी का समर्थन किया और कंगना की फिल्मों की सराहना की लेकिन वे यहां क्या बात कर रहे हैं हास्यास्पद है! लिबरल को कट्टरपंथी कह रही हैं। इसे “रियल इंडिया” कहकर मॉब लिंचिंग को सामान्य बना रही हैं। कंगाना इससे सहमत हैं और कह रही है कि यह उनके गांव में होता है। क्या पालगपन है?” एक अन्य यूजर ने लिखा कि, “राइट विंग आइकन कंगाना और सद्गुरु जी उदारवादियों की आलोचना करते हैं और भारत में गायों की रक्षा के लिए लोगों को हिंसक होने का औचित्य साबित करते हैं।”

वहीं, रोहिणी सिंह ने आलोचना करते हुए लिखा कि, “अगली बार कंगना और उनके गुरु जाति पर चर्चा करेंगे क्योंकि उनके गांव में एक जाति के लोग दूसरे जाति के लोगों का शोषण करते हैं और उन्हें पिटते हैं। और हम में से बाकी को इस पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह गांवों में होता है और उदारवादी इसे नहीं समझ पाते हैं!”