संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित क्यों किया, इस पर बीकेयू नेता ने कहा कि पीएम मोदी पहले भी कहकर मुकर चुके हैं। उन पर कैसे विश्वास करें। उनका कहना था कि अभी हम घर लौट रहे हैं। लेकिन हालात पर नजर रखेंगे। अगर सरकार अपने वादे से पलटती दिखी तो किसान फिर से लौटकर आएंगे।
बीकेयू नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि गुजरात का सीएम रहते मोदी ने एक सिफारिश 2011 में की थी कि एमएसपी के बगैर किसानों का गुजारा नहीं हो सकता। वो जिंदा नहीं रह सकते। उनकी कमेटी ने एमएसपी देने की सिफारिश तत्कालीन यूपीए सरकार से की थी। जैसे ही मोदी पीएम बने अपनी ही बातों से मुकर गए। अब वो एमएसपी की बात तक नहीं करते। बीकेयू नेता का कहना था कि ये लोग बात से मुकरने वाले हैं। लिहाजा हम घर जाकर सोने वाले नहीं हैं। हर चीज देखते रहेंगे।
उधर, बीजेपी नेता ने बीकेयू के महासचिव की बातों को दरकिनार करते हुए कहा कि मोदी सरकार हर बात पर खरी उतरती है। राकेश त्रिपाठी का कहना था कि सरकार ने जो वादे किए वो निभाए हैं। कांग्रेस के अभय़ दुबे ने उनकी बातों पर तंज कसते हुए पुराने वादों की याद डिबेट में दिलाई। उनका कहना था कि ये सरकार जुमलेबाजी बहुत करती है। पहली बार इनको किसानों ने सही जगह दिखाई है। अब ये बैकफुट पर हैं।
आपको सरकार पर भरोसा क्यों नहीं है? सुनिए क्या कहना है युद्धवीर सिंह, महासचिव, BKU का
#Dangal #SinghuBorder #Farmers | @ArpitaArya pic.twitter.com/NkKUuVDOlE— AajTak (@aajtak) December 11, 2021
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों के अपने-अपने घरों की ओर लौटने के बाद शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर स्थित संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्यालय में सन्नाटा पसर गया। हरियाणा के कुंडली में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा बंद किए राजमार्ग पर टाइल के गोदाम में स्थित एसकेएम मुख्यालय आंदोलन के दौरान किसानों का केंद्र हुआ करता था। यहां कई बैठकें और सम्मेलन हुए।
मुख्यालय के लोहे के जिस द्वार पर एसकेएम के स्वयंसेवक आगंतुकों पर नजर रखते थे, आज सुबह वहां सन्नाटा पसरा दिखा। किसान अपने तंबू और अन्य ढांचे उखाड़ने और सामान पैक करने में व्यस्त दिखे। एसकेएम 40 किसान संघों का नेतृत्व करने वाला संगठन है, जो केंद्र के तीन कृषि कानूनों कानूनों को निरस्त करने और फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहा था।