पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को संसद भवन की नई इमारत पर बने 20 फीट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण किया है। पीएम मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी भी मौजूद रहे। पीएम मोदी के द्वारा नई संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किये जाने पर असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाये हैं।

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि “संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग करता है। सरकार के प्रमुख के रूप में पीएम को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था। लोकसभा के अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सरकार के अधीन नहीं हैं। पीएमओ द्वारा संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है।”

ओवैसी के इस ट्वीट पर तमाम लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। संतोष कुमार परमार नाम के यूजर ने लिखा कि ‘दुनियां की सारी जानकारी बैरिस्टर ओवैसी जी के पास है, हां ये बात अलग है कि ये ऐसे वकील साहब हैं जो कोर्ट में दलील पेश नहीं करते।’ मेराजुद्दीन नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सेक्युलर कंट्री की पार्लियामेंट बिल्डिंग में एक विशेष धर्म को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?’

डीके सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘संसद के निर्वाचित सदस्य कैसे नमाज अदा करते हैं? यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। अपने धर्म का पालन करना बंद करो।’ एक यूजर ने लिखा कि ‘बीजेपी कह सकती है कि भारत हिंदू राष्ट्र है लेकिन संवैधानिक भारत अभी भी एक धर्मनिरपेक्ष देश है। मोदी जी हिंदू राष्ट्र के नहीं बल्कि भारत के पीएम हैं।’

अक्षय गौतम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आप अच्छे से देखिये, ओम बिरला जी भी हाथ जोड़कर बैठे हैं भले पीछे ही क्यों न बैठे हो। उनका सौभाग्य है कि वो उस फ्रेम में आ गए।’ सुनील कुमार सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ओवैसीजी आपको मोदी साहब के द्बारा किया गया हर काम गलत लगता है क्यों?’ अर्जुन कोहली नाम के यूजर ने लिखा कि ‘वह संवैधानिक मानदंडों का पालन कब करते हैं? धर्म और राजनीति बहुत अलग चीजें हैं और इन्हें राजनीति में नहीं मिलाना चाहिए।’

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने जिस विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया वो कांस्य से बना है और 9,500 किग्रा वजनी, 6.5 मीटर उंचा है। अशोक स्तंभ का अनावारण करने के बाद पीएम ने नई संसद के काम में शामिल ‘श्रमजीवियों’ से बात भी की।