गांधी मेमोरियल की पत्रिका ‘अंतिम जन’ द्वारा हिंदुत्ववादी नेता विनायक दामोदर सावरकर पर एक विशेषांक निकाला गया है। जिसको लेकर विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है। इस विषय पर हो रही टीवी डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक और बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी के बीच तीखी बहस हो गई। इस दौरान रागिनी नायक ने बीजेपी पर जमकर तंज कसे।

‘आज तक’ न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम ‘दंगल’ में हो रही इस बहस के दौरान रागिनी नायक ने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि झूठ और पाखंड की कहानी को राजनैतिक द्वेष बताना गलत है। रागिनी नायक ने आगे कहा, ‘ जो संघी महात्मा गांधी की हत्या पर लड्डू बांट रहे थे, वो एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी देश में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। नागपुरिया समर्थित कचरा ज्ञान बांटने वाली कई किताबें बांटी जा रही हैं।’

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ये सावरकर कौन हैं, जो जेल जाने के बाद ही अंग्रेजों से माफी मांगते हुए वफादारी की कसमें खाने लगें। रागिनी नायक ने दावा किया कि 1947 में विभाजन का बीज सावरकर द्वारा ही बोया गया था। इन्होंने ही दो राष्ट्र की थ्योरी पर बात की थी। कांग्रेस प्रवक्ता ने यहां तक कहा कि वह ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा दिए गए बंगले में रहते थे। अंग्रेजों द्वारा दी गई पेंशन पर अपना जीवन चला रहे थे।

सुधांशु त्रिवेदी ने किया पलटवार : कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा लगाए गए आरोपों पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अंग्रेजों को सावरकर काला पानी की सजा देने लायक लगते थे और 2 जन्मों की सजा देने लायक लगते थे। जबकि नेहरू लॉर्ड माउंट बेटेन परिवारिक संबंध रखने लायक लगते थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इनका तो गजब का ही संघर्ष था। नेहरू 1947 में नहीं बल्कि उसके पहले ही प्रधानमंत्री बन गए थे। उन्हें माउंट बेटेन ने शपथ दिलाई थी।

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता से सवाल किया कि आप एक ऐसे कांग्रेस नेता का नाम बताइए, जो अंग्रेजों की गोली से मारा गया हो या फिर उसको फांसी दी गई हो। जिसके बाद रागिनी नायक ने सावरकर को लेकर पूछा कि आप पहले इसका जवाब दीजिए कि उनके नेतृत्व में कौन सा आंदोलन हुआ था? इस दौरान दोनों प्रवक्ताओं के बीच तीखी बहस होने लगी।