केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश के भोपाल में एमबीबीएस की हिंदी की किताब लॉन्च की है। अब मध्यप्रदेश के छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में भी कर सकेंगे। इस बीच सरकार के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। किताब के नाम को लेकर यूजर्स का कहना है कि इन्होंने इंग्लिश का अनुवाद नहीं किया है।’

अमित शाह ने लॉन्च की किताब

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग के साथ अमित शाह ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हिंदी में तीन पुस्तकों का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे जिगर के टुकडे जैसे मेडिकल छात्रों को बधाई देता हूं। आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में नए निर्माण का दिन है। इसके साथ उन्होंने कहा कि देश का विद्यार्थी जब अपनी भाषा में पढ़ाई करेगा तो वह सच्ची सेवा कर पाएगा।

यूजर्स ने उठाए ऐसे सवाल

आम सोशल मीडिया यूजर्स के साथ विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मसले पर कई तरह के सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस समर्थक पूजा त्रिपाठी ने किताब लॉन्च करते शिवराज सिंह चौहान और अमित शाह की तस्वीर के साथ कमेंट किया, ‘Anatomy – Abdomen and lower limb को इन्होंने हिन्दी में एनाटॉमी- एब्डोमन और लोअर लिंब कर दिया है। इनके हिंदुत्व की तरह इनका हिंदी प्रेम भी फ़र्ज़ी है।’

पत्रकार आलोक ने लिखा कि एक हिंदी होती है, लड़की घास पर घूम रही है। एक और हिंदी होती है, तरुणी तृण वितरण पर विचार कर रही है। एक और हिंदी है, जिसमें मध्य प्रदेश में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई होने वाली है। अभिषेक सिंह नाम के ट्विटर यूजर द्वारा कमेंट किया गया – हिंदी का सांस्कृतिक नवजागरण है। बनावटी भाषा, बनावटी जागरण। कुलदीप नाम के एक ट्विटर हैंडल लिखा गया, ‘ये देखो हिंदी वाले एमबीबीएस। सभी बीमारी, सूक्ष्मजीव और इलाज से संबंधित सब नामों का हिंदी नाम भी दिया जाए। तभी तो अंग्रेजी का बहिष्कार होगा, अंग्रेजी के नामों को हिंदी में लिखा गया, ये दोगलापन है।

शोभित नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि एनाटॉमी का मतलब शरीर रचना होता है। ये लोग ना हिंदी पढ़ने लायक छोड़ेंगे और ना ही अंग्रेजी। पवन गुप्ता नाम के ट्विटर यूजर द्वारा लिखा गया – इंग्लिश में अनुवाद करने के बजाय हिंग्लिश लिखना शुरु कर दिया। जानकारी के लिए बता दें कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग हिंदी से एमबीबीएस शुरू कर दिए जाने की तारीफ भी कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोगों ने सवाल उठाए हैं।