100 लड़कियों के साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग की इस घटना पर यकीन करना मुश्किल है मगर काश ये झूठ होता… इस वारदात ने पूरे अजमेर को हिलाकर रख दिया था। यह मामला 32 साल पहले हुआ था। अजमेर गैंगरेप और छात्राओं को ब्लैकमेल करने के मामले में 6 आरोपी बचे हुए थे। आज मंगलवार को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने इन्हें दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई। इस आर्टिकल में हम आपको इस घटना की पूरी जानकारी दे रहे हैं। पूरा मामला जानने के बाद आपका भी दिल दहल सकता है, कि कैसे छात्राओं को फंसाया गया और फिर कैसे ब्लैकमेल कर उनके साथ जबरदस्ती की गई।
पूरी घटना के पीछे एक गैंग का हाथ
घटना को अंजाम देने के पीछे एक गैंग सक्रिया था। इस गैंग ने जाल बिछाया और अजमेर के गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को फार्म हाउसों पर बुलाकर उनका रेप किया। इन लड़कियों में बड़े घर की बेटियां भी शामिल थीं। गैंग ने IAS-IPS की बेटियों को भी अपना शिकार बनाया मगर लड़कियों के घरवालों को भनक तक नहीं लगी।
इस घटना ने इस शहर को बदनाम कर दिया। 1990 से 1992 यहां वो हुआ जिसने गंगा-जमुनी संस्कृति की धज्जियां उड़ा दी। इस खबर को स्थानीय दैनिक नवज्योति अखबार ने प्रकाशित किया था इसके बाद एक-एक करके कड़ियां खुलती गईं। अखबार ने खबर ही हेडिंग दी थी ”बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेल का शिकार”…इस खबर ने सबके होश उड़ा दिए।

लड़कियों की उम्र 17 से 20
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 100 से अधिक लड़कियों के साथ हुई थी। लड़कियों को ब्लैकमेल कर फॉर्महाउस पर बारी-बारी से बुलाया जाता था और उनका रेप किया जाता था। लड़कियों का रेप करते समय उनकी अश्लील तस्वीरें ली गईं और फिर उन्हीं तस्वीरों के जरिए उनको ब्लैकमेल किया गया। लड़कियों की उम्र 17 से 20 साल के बीच थी।
कैसे हुई थी वारदात की शुरुआत?
जानकारी के अनुसार, सबसे पहले फारूक चिश्ती नामक एक आरोपी ने सोफिया स्कूल की एक लड़की को अपने जाल में फंसाया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने दुष्कर्म करते समय पीड़िता की तस्वीरें खींच ली और उन तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करने लगा। उसने पीड़िता को ब्लैकमेल कर दूसरी लड़कियों को फुसला कर लाने को कहा। लड़की मजबूरी में आकर दूसरी छात्राओं को फार्म हाउस लेकर जाने लगी, वहां पर उन सभी के साथ रेप होता रहा और उनकी तस्वीरें ली जाती रहीं। इन तस्वीरों के जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया जाता रहा। इस तरह इस गैंग ने अपने जाल में 100 से अधिक लड़कियों को फंसा लिया।
घरवालों के सामने फार्महाउस पर जाती रहीं छात्राएं, नहीं लगी भनक
घरवालों के लड़कियां फार्महाउस पर जातीं मगर परिजन को इस बात की भनक नहीं थी। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें लेने बकायदा गाड़ी आती थीं और फिर उन्हें छोड़कर भी जाती थीं। खबर के अनुसार, इन लड़कियों का रेप करने वालों में नेता, पुलिस और अन्य अधिकारी भी थे।
सेक्स रैकेट का मास्टरमाइंड फारूक चिश्ती
इस रैकेट का मास्टरमाइंड फारूक चिश्ती था। इस वारदात में नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती भी थे। उस समय तीनों यूथ कांग्रेस के नेता थे। इनकी पहुंच दरगाह तक की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दुष्कर्म की शिकार अधिकतर लड़कियां हिंदू थीं और रेप करने वाले अधिकतर मुस्लिम। इस कारण पुलिस भी डरती थी कि दंगे ना हो जाएं। खबर पूरे शहर में फैल गई और लड़कियों की तस्वीरें फैलने लगीं। लड़कियों को इन्हीं तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल किया जाता, इस घटना में एक टेकनिशियन भी शामिल हो गया।
लड़कियां करने लगीं खुदकुशी
खबर फैलने के बाद बदनाम के डर के मारे लड़कियां खुदकुशी करने लगी। इस जाल से निकलने के लिए 6 लड़कियों ने अपनी जान दे दी। अखबार ने इस घटना पर कई सीरीज निकाली और पुलिस और सरकार पर दबाव बनने लगा।
अखबार के पत्रकार संतोष गुप्ता ने ”छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाले आजाद कैसे रहे गए?” नामक दूसरी खबर प्रकाशत की। अखबार ने पीड़िताओं की तस्वीरें भी प्रकाशित कर दी थीं ताकि मामले को देखा जा सके। इस खबर के बाद पूरे राजस्थान में माने भूचाल आ गया। इस तरह अखबार ने खबरों झड़ी लगा दी। मामले के लेकर जनता में आक्रोश फैलने लगा। लोगों ने अजमेर बंद का ऐलान कर दिया। मामले में गोपनीय जांच का आदेश दिया गया। जो खुलासा हुआ उसने सबको हिलाकर रख दिया और फिर इस केस को दबाने की कोशिश होने लगी। उस समय के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक ओमेन्द्र भारद्वाज ने तो इस केस को ही झूठा करार दे दिया था। उन्होंने लड़कियों के कैरेक्ट पर सवाल उठा दिया।
हर तरफ आक्रोश की आग
मामला बढ़ने के बाद हर तरफ आक्रोश फैलने लगा। पूरे देश में इसकी चर्चा होने लगी। राजस्थान में हर तरफ आंदोलन होने लगे। इसके बाद भैरोंसिंह शेखावत ने केस सीआईडी सीबीआई के हाथों में दिया। अजमेर पुलिस ने भी मामले में रिपोर्ट दर्ज की और फिर जांच तेज हुई। मामले में सीबीआई के शामिल होने के बाद मामले में युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष और दरगाह के खादिम चिश्ती परिवार के कई लोगों के शामिल होने की बात सामने आई। इनके नाम फारूक चिश्ती, उपाध्यक्ष नफीस चिश्ती, संयुक्त सचिव अनवर चिश्ती, पूर्व कांग्रेस विधायक के नजदीकी रिश्तेदार अलमास महाराज, जमीर, सोहेल गनी, पुत्तन इलाहाबादी, इशरत अली, इकबाल खान, सलीम, नसीम अहमद उर्फ टार्जन, प्रवेज अंसारी, मोहिबुल्लाह उर्फ मेराडोना, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, पुरुषोत्तम उर्फ जॉन वेसली उर्फ बबना और हरीश तोलानी शामिल थे।
मामले में पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इनमें से एक जेल से बाहर आने के बाद खुदकुशी कर ली थी। आठ साल बाद इसका फैसला आय़ा था जिनमें कोर्ट ने 8 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि कुछ समय बाद ही 4 आरोपियों की सजा घटाकर 10 साल कर दी गई। इस फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी थी। वहीं मामले में एक आरोपी 19 साल बाद पकड़ा गया था और वह भी जमानत पर बाहर आ गया। पीड़िताओं और परिजन इंसाफ का इंतजार कर रहे थे। अब इस मामले में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में कुल 18 आरोपी थे। एक ने सुसाइड कर लिया, 9 को सजा दी जा चुकी है, एक अन्य जेल में बंद है एक फरार है और बाकी 6 को अब कोर्ट ने उम्रकैद दी है। आज उन पीड़िताओं को इंसाफ मिला है।