इंटरनेट पर ‘Stare At Wife’ वाले Memes छाए हुए हैं, जिसका क्रेडिट L&T के सीईओ एसएन ब्रह्मण्यन को जाता है। उन्होंने रविवार को भी काम करने के बारे में वकालत की थी। उन्होंने 90 घंटे के वर्क वीक की वकालत करते हुए टिप्पणी की थी, “आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हैं? संडे को भी ऑफिस आइये और काम करिए।” इस बयान ने ऑनलाइन मीम्स की झड़ी लगा दी है।
मीम्स के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की
सुब्रह्मण्यन का रविवार सहित 90 घंटे के वर्क वीक का सुझाव कई लोगों को पसंद नहीं आया। ऐसे में चूंकि आज रविवार है, इस सोशल मीडिया यूजर्स ने वायरल टिप्पणी पर मीम्स के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की। मीम्स ऐसे हैं कि जिन्हें देखकर हंसी छूट जा रही है। इस दौड़ में फूड डेलिवरी ऐप जोमैटो भी शामिल हो गया है।
कुछ मीम्स जो खूब वायरल हो रहे हैं, वो यो हैं –
अब वायरल हो चुके एक वीडियो में, एलएंडटी के CEO को ये कहते हुए सुना जा सकता है, “मुझे खेद है कि मैं तुम्हें रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं तुम्हें रविवार को काम करवा पाऊं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं। तुम घर पर बैठकर क्या करते हो? तुम अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हो? चलो, ऑफिस जाओ और काम करना शुरू करो।”
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एलएंडटी के CEO इस बयान ने विवाद को जन्म दे दिया है। उनके इस बयान पर कई उद्योगपतियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने शनिवार को कहा, “मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, और मुझे उसे घूरना बहुत पसंद है।” जबकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने रविवार को कहा, “मेरी पत्नी भी रविवार को मुझे घूरना पसंद करती है।”
मैट्रिमोनियल साइट शादी.कॉम के मालिक अनुपम मित्तल ने भी सुब्रह्मण्यन की टिप्पणी पर हल्के-फुल्के अंदाज में कटाक्ष किया और बयान की बेतुकी बातों पर प्रकाश डाला। शादी डॉट कॉम के संस्थापक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “लेकिन सर, अगर पति और पत्नी एक-दूसरे की तरफ नहीं देखेंगे, तो हम दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश कैसे बने रहेंगे।”
एडलवाइस की सीईओ राधिका गुप्ता ने भी पूरे मुद्दे पर अपना पक्ष रखा है। अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “कड़ी मेहनत एक विकल्प है”। LinkedIn पर एक पोस्ट में, गुप्ता ने शेयर किया कि उन्होंने अपनी पहली नौकरी के दौरान एक बार लगातार चार महीनों तक 100 घंटे काम किया। उन्होंने कहा, “एक दिन में अठारह घंटे, एक दिन की छुट्टी (और रविवार को नहीं – मुझे सोमवार की छुट्टी मिली क्योंकि मुझे रविवार को एक क्लाइंट के पास जाना था)।” फिर भी, उन्होंने स्वीकार किया कि इस समय का अधिकांश हिस्सा Unproductive था, भावनात्मक तनाव से भरा था, और यहां तक कि अस्पताल जाने की वजह भी बना।
अपनी पोस्ट में गुप्ता ने काम, प्रोडक्टिविटी और हेल्थ पर पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया:
गुप्ता का मानना है कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत ज़रूरी है, लेकिन वे स्वीकार करती हैं कि यह एकमात्र कारक नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं यह भी मानती हूं कि जो व्यक्ति कड़ी मेहनत करता है, वो तेज़ी से आगे बढ़ता है। बेहतरीन करियर, उपलब्धियां और कंपनियां बहुत मेहनत का नतीजा होती हैं,” लेकिन इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उपलब्धियां निरंतर प्रयास पर आधारित होती हैं, बर्नआउट पर नहीं।
गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि महत्वाकांक्षा और कड़ी मेहनत पर्सनल च्वाइस हैं। “हर किसी को सीईओ या संस्थापक बनने की ख्वाहिश नहीं होती है। मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूं जिन्होंने अपने क्षेत्र में कम मांग वाले करियर का रास्ता चुना है क्योंकि उनके लिए काम से छुट्टी मायने रखती है। कोई बहुत बड़ा पद नहीं।” अपने अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए गुप्ता ने लंबे समय तक काम करने के जुनून की आलोचना की।
गुप्ता ने कहा, “अब घंटों की बात करते हैं। मैंने अपनी पहली नौकरी के दौरान अपने पहले प्रोजेक्ट पर लगातार चार महीनों तक सप्ताह में 100 घंटे काम किया। हो सकता है कि मैं 100 घंटे काम पर रही होऊं, लेकिन मैं उनमें प्रोडक्टिव नहीं थी। यही कहानी मेरे कई ग्रैजुएशन क्लासमेट के लिए भी सच है, जिन्होंने बैंकिंग, परामर्श आदि में समान भूमिकाएं निभाईं,”।
गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कड़ी मेहनत सफलता के बराबर नहीं है। यह प्रोडक्टिविटी सुनिश्चित नहीं करती है। उन्होंने कहा, “घंटे प्रोडक्टिविटी के बराबर नहीं हैं। कई विकसित देश 8-4 बजे काम करते हैं, लेकिन सुनिश्चित करते हैं कि वे घंटे उत्पादक हों। समय पर आएं, काम पर अपना सर्वश्रेष्ठ दें, केवल आवश्यक बैठकें करें और प्रभावी होने के लिए तकनीक का उपयोग करें”।
गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि काम कभी भी परिवार या मानसिक स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होना चाहिए। अब अपने करियर, परिवार और घरेलू जिम्मेदारियों को संभालते हुए, वह समर्थन पाने के विशेषाधिकार को पहचानती हैं, लेकिन स्वीकार करती हैं कि कई लोग ऐसा नहीं करते हैं। गुप्ता ने कहा, “परिवार और मानसिक स्वास्थ्य इससे दूर नहीं हो सकते। अन्यथा, हम चिंता और टूटने, समय से पहले दिल के दौरे, दुखी विवाह और अनुपस्थित पालन-पोषण की दुनिया का निर्माण करेंगे।”
गौरतलब है कि L&T के सीईओ के इस बयान ने इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने 70 घंटे के वर्क वीक की वकालत की है, जिसने वर्क लाइफ बैलेंस पर बहस तेज कर दी थी।
हालांकि, राधिका गुप्ता का दृष्टिकोण एक जमीनी याद दिलाता है: सफलता व्यक्तिगत भलाई की कीमत पर नहीं आनी चाहिए। जैसा कि उन्होंने कहा, कड़ी मेहनत एक विकल्प होना चाहिए, न कि अनिवार्यता।
